मर्यादा की लक्ष्मण रेखा पार न करें लालू : ललन सिंह - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 12 सितंबर 2017

मर्यादा की लक्ष्मण रेखा पार न करें लालू : ललन सिंह

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पटना 11 सितंबर, बिहार में सत्तारूढ़ जनता दल यूनाईटेड (जदयू) ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव को भागलपुर की सभा में उनके भाषण में इस्तेमाल किये गये शब्दों पर कड़ी नाराजगी जताते हुये आज कहा कि श्री यादव मर्यादा की लक्ष्मण रेखा पार न करें नहीं तो उल्टा पड़ जाएगा। जदयू के वरिष्ठ नेता एवं जल संसाधन मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने यहां पार्टी कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा, “भागलपुर में कल राजद की सभा में श्री यादव ने जिस भाषा का प्रयोग किया वह उनके जैसे नेता को शोभा नहीं देता है। वह व्यक्तिगत चरित्र हनन पर उतर आए हैं। हम भी उनके जैसी भाषा का इस्तेमाल कर सकते हैं लेकिन हमारे संस्कार और संस्कृति इसकी अनुमति नहीं देते।” उन्होंने कड़ी नाराजगी जताते हुये कहा श्री यादव मर्यादा की लक्ष्मण रेखा पार न करें नहीं तो उल्टा पड़ जाएगा। श्री सिंह ने कहा कि आयकर विभाग, केंद्रीय जांच ब्यूराे और प्रवर्तन निदेशालय की जांच से घिरे राजद अध्यक्ष इन दिनों हताश चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह हताशा की चरम सीमा है, जो उनकी भाषा में दिखाई पड़ रही है। उन्होंने कहा कि राजद अध्यक्ष बोलते समय अपनी भाषा पर नियंत्रण रखें।


मंत्री ने श्री यादव के सृजन घोटाले की जांच की निगरानी के लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के बयान पर कहा कि यदि उनके पास घोटाले को लेकर कोई साक्ष्य है तो उसे केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को उपलब्ध करायें। उन्होंने कहा कि राजद अध्यक्ष के पास यदि जांच ठीक नहीं चलने का कोई प्रमाण है तो उन्हें उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय अवश्य जाना चाहिए। श्री सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ही सृजन घोटाले को उजागर किया और इसकी जांच की जिम्मेदारी आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) को सौंपी। इसके बाद सीबीआई से इसकी जांच कराने की अनुशंसा भी कर दी। अब सीबीआई मामले की जांच कर रही है, तो इसमें संलिप्त कोई भी बच नहीं पाएगा। उन्होंने श्री यादव के सृजन यात्रा पर कटाक्ष करते हुये कहा कि वह सीबीआई कार्यालय की यात्रा के बजाय सृजन यात्रा क्यों कर रहे हैं। मंत्री ने कहा कि 11 मार्च 1996 को पटना उच्च न्यायालय ने चारा घोटाले की सीबीआई से जांच कराने का आदेश दिया था। इसके विरोध में राजद अध्यक्ष उच्चतम न्यायालय पहुंच गये जबकि न्यायालय ने उच्च न्यायालय के आदेश को सही करार दिया। वह इससे भी नहीं माने तो उनके वकील ने सीबीआई जांच प्रभावित होने की आशंका जताई। इस पर सर्वोच्च न्यायालय ने जांच की निगरानी उच्च न्यायालय को सौंप दी। उन्होंने कहा कि इसी तरह सृजन मामले में श्री यादव को लगता है कि उनके पास पुख्ता साक्ष्य हैं तो वह न्यायालय जाने के लिए स्वतंत्र हैं। 

श्री सिंह ने राजद अध्यक्ष के श्री कुमार पर जनादेश का अपमान कर महागठबंधन छोड़ भाजपा में चले जाने के बयान पर कहा कि आखिर श्री कुमार ने उनपर और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ लगे बेनामी संपत्ति के आरोपों का जनता के बीच जाकर तथ्यपरक जवाब देने को ही तो कहा था। उन्होंने कहा कि राजद अध्यक्ष यदि सफाई देते भी तो उनके पास दो ही जवाब होते- बेनामी संपत्ति उनकी है या नहीं और यदि है तो आय का स्रोत बतायें। उन्होंने कहा कि श्री यादव आज भी बता दें कि अरबों रुपये की बेनामी संपत्ति उनकी है या नहीं। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि ऐसे में भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम करने वाले मुख्यमंत्री श्री कुमार क्या करते। उन्होंने अपनी बेदाग और निर्विवाद छवि को बचाने तथा राज्य की जनता के हित में महागठबंधन से किनारा कर लिया। मंत्री ने राजद उपाध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह के जदयू प्रवक्ताओं पर अमर्यादित टिप्पणी करने के आरोप पर कहा कि उनके प्रवक्ताओं ने कभी भी ऐसा नहीं किया। उलटे श्री सिंह महागठबंधन बनने के बाद से लगातार राजद अध्यक्ष के इशारे पर जदयू नेताओं के खिलाफ अभद्र भाषा का प्रयोग करते रहे। उन्होंने राजद की भागलपुर सभा के बार में कहा कि वह ‘मदारी’ की नुक्कड़ सभा थी। जदयू के वरिष्ठ नेता एवं ऊर्जा मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि राज्य की साढ़े 11 करोड़ आबादी पर पड़ने वाले प्रभाव को ध्यान में रखते हुये किसी भी पार्टी के नेता को अमर्यादित भाषा का प्रयोग नहीं करना चाहिए। उन्होंने श्री कुमार के महागठबंधन से नाता तोड़ने को जनादेश का अपमान बताये जाने पर कहा कि वर्ष 1995 के चुनाव में जनता दल को जनादेश मिला था फिर क्यों राजद अध्यक्ष ने 1997 में अलग पार्टी राजद बनाकर अपनी पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बना दिया। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि क्या वह जनादेश का अपमान नहीं था। 

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