काम के आधार पर तय हो सांसद विधायक के वेतन : वरुण गांधी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 9 सितंबर 2017

काम के आधार पर तय हो सांसद विधायक के वेतन : वरुण गांधी

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पटना 09 सितंबर, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सांसद वरुण गांधी ने सांसदों और विधायकों के वेतन में हुई जबदरदस्त बढ़ोतरी पर आपत्ति जताते हुये आज कहा कि केवल काम के आधार पर ही इनके वेतन में वृद्धि होनी चाहिए। श्री गांधी ने यहां आयोजित एक कॉन्कलेव में कहा कि देश की सबसे बड़ी चुनौती गरीबी, असमानता और अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति तक विकास पहुंचाने की है। उन्होंने तमिलनाडु में किसानों की आत्महत्या के बाद उनका नरमुंड लेकर प्रदर्शन करने वाले किसानों का उदाहरण देते हुये कहा कि इतनी बड़ी त्रासदी के बीच ही विधानसभा सदस्यों ने केवल एक दिन चर्चा कर अपने वेतन में दोगुणा बढ़ोतरी कर ली। सांसद ने कहा कि पिछले 15 साल के दौरान संसद में प्रत्येक वर्ष केवल 60 दिन ही कामकाज हुये। 51 प्रतिशत विधेयक बिना बहस के पारित हुये वहीं 61 प्रतिशत विधेयक बिना सलाहकार समिति को भेजे ही पारित कर दिये गये। उन्होंने कहा कि संसद भवन नीति निर्माण का केंद्र बने न कि केवल राजनीति का। श्री गांधी ने ओडिशा विधानसभा में पारित एक प्रस्ताव का जिक्र करते हुये कहा कि पारित प्रस्ताव के अनुसार, विधानसभा सदस्य प्रत्येक वर्ष 110 दिन काम करने का संकल्प लिया है। उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में ओडिशा देश के लिए उदाहरण बन सकता है। उन्होंने कहा कि बिहार को भी इसका अनुकरण करना चाहिए।


सांसद ने जनप्रतिनिधियों की जवाबदेही तय करने की वकालत करते हुये कहा कि आज दुनिया की राजनीति कुछ चेहरों के इर्द-गिर्द घूम रही है। उन्होंने कहा कि हालांकि यह गलत भी नहीं है क्योंकि चेहरे से उम्मीदें भी जुडी होती है। लेकिन जिस राजनीति की वह बात कर रहे हैं उसके लिए व्यवस्था परिवर्तन जरूरी है। सांसद ने संसद में पार्टी की ओर से जारी होने वाले व्हिप पर भी आपत्ति जताई और कहा, “मैं कुछ मुद्दों पर बतौर सांसद अपनी राय रखना चाहता हूं लेकिन व्हिप जारी होने के कारण यह आशंका भी बनी रहती है कि यदि ऐसा किया तो अगले दिन पार्टी से निष्कासित कर दिया जाउंगा।” उन्होंने कहा कि कुछ विषय पर तो व्हिप जारी हो लेकिन कुछ को सांसदों के विवेक पर छोड़ा जाना चाहिए। श्री गांधी ने देश की राजनीति में महिलाओं के उत्तरदायित्व पर कहा कि लाेकसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व केवल 11 प्रतिशत और राज्यों के विधानमंडलों में महज नौ प्रतिशत है। पिछले चुनाव में राष्ट्रीय पार्टियों ने केवल 24 प्रतिशत टिकट महिलाओं के दिये लेकिन इनमें से 14 प्रतिशत ने उसे जीत में तब्दील कर दिया। उन्होंने कहा कि ये आंकड़े बताते हैं कि अब समय आ गया है कि राजनीति पार्टियों को समझना होगा कि संसद और विधानमंडल में महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए। 

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