नयी दिल्ली, 09 सितम्बर, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी ने कहा है कि पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या से यह लगने लगा है कि सत्ता के खिलाफ बोलने वालों के लिए आगे अच्छा समय नहीं है। श्री तिवारी ने अपने ब्लॉग में कहा है कि सत्ता के खिलाफ तीखी प्रतिक्रिया करने वालों के लिए आने वाला समय अच्छा नहीं है1 उन्होने कहा कि 2013 के गोवा फिल्म महोत्सव में उन्होंने लेखकों और रचनाकारों को इस स्थिति के लिए तैयार रहने की चेतावनी दी थी और उसे वह अब दोहरा रहे हैं कि ऐसे लोगों के लिए समय ठीक नहीं है, खासकर अगले 20 माह का समय अच्छा नहीं है1 उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री सोशल मीडिया पर यदि गौरी की हत्या पर जश्न मनाने वाले लोगों को फॉलो करते हैं तो हमें यह समझना होगा कि वह सिर्फ उनका समर्थन ही नहीं कर रहे हैं बल्कि उन्हें संरक्षण भी दे रहे हैं1 देश में जो माहौल पैदा किया जा रहा है, उससे साफ संकेत मिल रहे हैं कि अगले 20 माह में मुक्त विचारों के लोगों को और ज्यादा विपरीत स्थितियों से जूझना होगा। संभव है कि इस दौरान कुछ और गौरी लंकेश देखने को मिलें
श्री तिवारी ने कहा कि राजनेता, पत्रकार तथा सामाजिक कार्यकर्ता का जीवन हमेशा जोखिम भरा होता है लेकिन पिछले तीन साल से देश में ऐसा माहौल पैदा किया गया है कि जो लोग सत्ता के विरुद्ध आवाज उठा रहे हैं, उन्हें चुनौती दी जा रही है और वे लगातार अभद्रता के शिकार हो रहे है1 अब स्थिति और खराब हो गयी है और सत्ता विरोधी लोगों को अब गौरी की तरह सजा पाने के लिए तैयार रहना चाहिए1 उन्होंने कहा कि यह अच्छी बात है कि आजादी के बाद देश में नेहरूवाद आया और उदारवारी तथा समावेशी समाज की स्थापना की नींव रखी गयी1 इसमें सौभाग्य यह रहा कि पिछले सात दशक में इन्हीं विचारों की पोषक सरकारें ज्यादा समय तक सत्ता में रहीं लेकिन अब स्थिति बदल रही है1 समावेशी तथा उदारवादी विचारों को नकारा जा रहा है। दुर्भाग्य यह है कि भारतीय जनता पार्टी तथा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ सोशल मीडिया के जरिए हमारे बुनियादी सिद्धांतों को पुनर्परिभाषित करने में लगा है 1 विविधता छोड़कर ऐसा माहौल तैयार किया जा रहा है जिसमें सिर्फ एक धर्म, एक कर प्रणाली और एक आवाज के लिए ही जगह हो
कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता ने कहा कि गौरी का संघर्ष हमेशा उम्मीदों की किरण बना रहा है1 अपने विचारों की अभिव्यक्ति वह क्षेत्रीय भाषा में करती थीं, जो कान्वेंट में पढ़े लिखे लोगों के लिए आसान नहीं है1 गौरी ने नक्सलियों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए काम किया और वह दक्षिणपंथी राजनीति की धुर विरोधी रहीं1 उन्होंने कहा कि गौरी क्षेत्रीय भाषा में अपनी बात कहती थीं और उन्हें भी अन्य लोगों की तरह यही भरोसा था कि हमारे लोग संविधान और इसके मूल्यों पर विश्वास करते हैं ,इसलिए सबको अपनी बात करने की आजादी है लेकिन उनका यह विश्वास गलत साबित हुआ है1 श्री तिवारी ने कहा कि आज राजनीति और पत्रकारिता का घालमेल हो गया है1 नकली खबरों का प्रसार और तथ्यों को राजनीतिक हितों के अनुकूल तोड़ मरोड़कर पेश करना सामान्य हो गया है1 राजनीति को कुछ लालची और कुटिल लोगों ने भ्रष्ट कर दिया है और ऐसे लोग पत्रकारिता को भी दूषित कर रहे हैं और जेबी बन गये हैं लेकिन भरोसे की बात यह है कि अच्छे, प्रतिबद्ध और साहसी राजनेताओं की तरह पत्रकारिता में भी साहसी और प्रतिबद्ध लोग हैं ,जो मोदी तथा ट्रम्प राज में भी सच बोलने की हिम्मत रखते हैं
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