अभिलेखों का संरक्षण जरूरी : नीतीश कुमार - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 14 सितंबर 2017

अभिलेखों का संरक्षण जरूरी : नीतीश कुमार

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पटना 13 सितंबर, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अभिलेखों के संरक्षण को जरूरी बताते हुये आज कहा कि इसे संरक्षित रखने के लिए जो भी तकनीक है, उसे अपनाया जाना चाहिए। श्री कुमार ने यहां ‘द इंडियन एसोसिएशन फाॅर द स्टडी आॅफ कन्जरवेशन आॅफ कल्चरल प्रोपर्टी’ के 49वें वार्षिक अधिवेशन को संबोधित करते हुये कहा कि अभिलेखागार में जो अभिलेख हैं, उसका संरक्षण बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि फोटो निगेटिव भी 35 साल में नष्ट हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि उसे बरकरार रखने के लिये जो भी तकनीक है, उसे अपनाया जाना चाहिये। मुख्यमंत्री ने कहा कि डाॅक्यूमेंटेशन आॅफ द रिकाॅर्ड आॅन अर्थक्वेक इन बिहार 1934 को संग्रहित कर पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया गया है। उन्होंने कहा कि गुजरात जैसा भूकम्प बिहार में आया तो लाखो लोग मारे जायेंगे। विज्ञान का काफी विकास हुआ है लेकिन भूकम्प कब और कहां आयेगा, किसी को पता नहीं चलता। उन्होंने कहा कि इसके लिये जागरुता ही उपाय है। बिहार में आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में काफी काम हुआ है और इस क्षेत्र में लगातार काम हो रहे हैं। स्कूली बच्चों को भी इसके बारे में जागरूक किया गया है। श्री कुमार ने कहा कि बिहार का हर हिस्सा पुरातत्व का साइट है। उन्होंने कहा कि कन्जरवेशन आॅफ कल्चरल प्रोपर्टी के क्षेत्र में राज्य में क्या किया जा सकता है, इस संबंध में आईएएससी के अध्यक्ष वी. वी. खड़बरे अपना मार्गदर्शन दें, सरकार की ओर से आर्थिक एवं नीतिगत सहयोग दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि राज्य में विशेषज्ञों की कमी नहीं है बल्कि उचित ओरिएंटेशन की कमी है। 


मुख्यमंत्री ने इस बार राज्य में आई भीषण बाढ़ के संदर्भ में कहा कि किसी को यह गलतफहमी नहीं होनी चाहिये कि वो प्रकृति पर नियंत्रण प्राप्त कर सकता है। अभी हाल में आयी बाढ़ इसका एक उदाहरण है। उन्होंने कहा कि यह प्रकृति की एकमात्र चेतावनी थी। उन्होंने कहा कि सभी लोग पर्यावरण का ख्याल रखें और पर्यावरण से छेड़छाड़ न करें। प्रकृति की ताकत को नजर अंदाज कर सभी भ्रम पालते हैं कि वे सब चीज को काबू कर लेंगे। यह कुदरत की डांट फटकार है। उन्होंने कहा कि गांधी जी ने कहा था कि प्रकृति लोगों की जरूरत तो पूरा कर सकती है लेकिन उनके लालच को नहीं। श्री कुमार ने इस अवसर पर डाॅक्यूमेंटेशन आॅन सिनेमा इन द रिकाॅर्ड आॅफ बिहार स्टेट आरकाइव्स (तीन खण्ड में), डाॅक्यूमेंटेशन आॅफ द रिकाॅर्ड आॅन अर्थक्वेक इन बिहार 1934 (तीन खण्डों में), बिहार विधानमंडल में रामानंद तिवारी के संभाषण एवं अभिलेख- बिहार-खण्ड 7 जो कि महत्वपूर्ण शोध आलेखों का संग्रह है, से संबंधित पुस्तकों का लोकार्पण किया और मंत्रिमण्डल समन्वय विभाग के प्रधान सचिव ब्रजेश मेहरोत्रा को लोकार्पित पुस्तकों को महाविद्यालयों एवं पुस्तकालयों में भेजने का निर्देश दिया ताकि नई पीढ़ी के युवा इसे पढ़ सकें। इस अवसर पर बीआरए बिहार विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर के पूर्व कुलपति प्रो. निहार नंदन प्रसाद सिंह, मिथिला विश्वविद्यालय दरभंगा के इतिहास विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. रत्नेश्वर मिश्र ने अभिलेखागार द्वारा प्रकाशित पुस्तकों का परिचय कराया। समारोह को आईएएससी, नई दिल्ली के अध्यक्ष बी. भी. खरबडे और श्री मेहरोत्रा ने भी संबोधित किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव चंचल कुमार सहित अभिलेखागार के पदाधिकारी एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। 

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