रांची 04 सितंबर, झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने आज कहा कि शिक्षक संसार के रचनाकार हैं और उन पर ही समाज को दिशा देने का दायित्व है। श्रीमती मुर्मू ने यहां स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के दो दिवसीय शिक्षक समागम को संबोधित करते हुए कहा कि शिक्षक दिवस देश के प्रथम उपराष्ट्रपति एवं द्वितीय राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जयंती के अवसर पर मनाया जाता हैं। इस महान शिक्षाविद् का मत था कि उचित शिक्षा से ही समाज में मौजूद समस्याओं का समाधान हो सकता है। राज्यपाल ने कहा कि शिक्षक बच्चों में मौजूद प्रतिभा को निखारने का कार्य करते हैं इसलिए शिक्षक को न केवल अच्छी तरह पढ़ाना चाहिए बल्कि उन्हें अपने छात्रों के प्रति असीम स्नेह भी रखना चाहिये। उसके साथ खुद के संतान जैसा व्यवहार किरना चाहिये और उसके बेहतर भविष्य के बार में सदा सोचना चाहिये। उन्हें नैतिकवान होना चाहिये, अच्छा आचरण रखना चाहिये तथा समाज के सामने बेहतर उदाहरण पेश करना चाहिये। इससे उन्हें समाज में प्रतिष्ठा और आदर स्वयं हासिल होगा। श्रीमती मुर्मू ने कहा कि शिक्षक का काम है ज्ञान को प्राप्त करना और फिर उसे बांटना। शिक्षा का लक्ष्य ही है ज्ञान के प्रति समर्पण की भावना और निरंतर सीखते रहने की प्रवृत्ति। उन्होंने दार्शनिक अरस्तू का हवाला देते हुये कहा कि जन्म देने वालों से अच्छी शिक्षा देने वालों को अधिक सम्मान दिया जाना चाहिए क्योंकि जन्म देने वाले ने तो बस जन्म दिया है लेकिन शिक्षकों ने जीना सिखाया है। उन्होंने कहा कि शिक्षकों से राज्य एवं राष्ट्र को काफी अपेक्षायें हैं। शिक्षक राष्ट्र निर्माण के महान सारथी हैं। राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा के बिना किसी भी राष्ट्र का विकास संभव नहीं है। शिक्षा किसी भी राष्ट्र के विकास की कुंजी होती है और शिक्षक राष्ट्र के विकास में अहम भूमिका का निर्वाह कर रहे हैं। उनके ही के कंधों पर छात्रों को आत्मनिर्भर बनाने एवं उन्हें आत्मबल प्रदान करने का दायित्व है ताकि वे समाज एवं देश की सेवा निष्ठा एवं समर्पण से कर सकें।
सोमवार, 4 सितंबर 2017
शिक्षक पर समाज को दिशा देने का दायित्व : द्रौपदी मुर्मू
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