नयी दिल्ली 28 अक्टूबर, राजधानी के मीडियाकर्मियों ने बीबीसी के पूर्व पत्रकार विनोद वर्मा की गिरफ्तारी को छत्तीसगढ़ पुलिस की बर्बर कार्रवाई करार देते हुए उनकी तत्काल रिहाई की आज मांग की। प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित एक सभा को सम्बोधित करते हुए विभिन्न संगठनों के वरिष्ठ मीडियाकर्मियों ने श्री वर्मा की गिरफ्तारी की जोरदार निंदा की और इसकी जांच भारतीय प्रेस परिषद से कराने की सरकार से मांग की। सभी ने एक स्वर से स्वीकार किया कि हाल के समय में मीडियाकर्मियों के खिलाफ विभिन्न सरकारों की दमनात्मक कार्रवाई बढ़ी है और इससे निपटने के लिए देश के मीडियाकर्मियों को एकजुट प्रयास करना चाहिए। कांग्रेस और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने भी श्री वर्मा के खिलाफ की गयी कार्रवाई की आलोचना की है। वरिष्ठ पत्रकार विनोद शर्मा ने श्री वर्मा की रिहाई के लिए उपयुक्त न्यायालय में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर करने की भी सलाह दी। उन्होंने कहा कि श्री वर्मा की गिरफ्तारी बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर करने का सर्वाधिक उपयुक्त मामला है। जाने-माने पत्रकार उर्मिलेश ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में स्थायी सीट हासिल करने के लिए प्रयासरत भारत के लिए यह घटना काला धब्बा है। उन्होंने कहा, “छत्तीसगढ़ की रमन सरकार न सिर्फ आदिवासियों और विरोधियों का दमन कर रही है, बल्कि पत्रकारों पर दमन के मामले में भी आगे है।” वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी ने श्री वर्मा के साथ अपराधियों की तरह सलूक किये जाने की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि शुचिता की बात करने वाली पार्टी के लोग भी अब संदिग्ध गतिविधियों में शामिल नजर आने लगे हैं। सभा को सम्बोधित करने वाले पत्रकारों में सर्वश्री राजेश जोशी, अमित सेन गुप्ता, जयशंकर गुप्ता, सुजीत ठाकुर, और राहुल जलाली भी शामिल थे।
शनिवार, 28 अक्तूबर 2017
पत्रकारों ने की विनोद वर्मा की तत्काल रिहाई की मांग
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