जेएनयूएसयू छात्र संघ की अध्यक्ष गीता कुमारी सहित संबोधित करेंगे अन्य छात्र-युवा नेता
पटना 16 नवम्बर 2017 , आइसा-इनौस द्वारा देश के स्तर पर ‘नफरत नहीं अधिकार चाहिए, शिक्षा व रोजगार चाहिए’ नारे के साथ निकली छात्र-युवा अधिकार यात्रा आज बेगूसराय होते हुए पटना पहंुच गयी है. विदित है कि छात्र-युवाओं के सवाल को लेकर 7 नवम्बर को चंडीगढ़ से यह यात्रा निकली है, जो देश के विभिन्न हिस्सों से गुजरते हुए पटना पहंुच रही है. इंकलाबी नौजवान सभा के बिहार राज्य सचिव नवीन कुमार तथा आइसा के बिहार राज्य अध्यक्ष मोख्तार ने कहा कि इस यात्रा का नेतृत्व जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ की वर्तमान अध्यक्ष गीता कुमारी, आइसा के महासचिव संदीप सौरभ, इनौस की नेता नवकिरण, आइसा के नीरज कुमार आदि कर रहे हैं. इन नेताओं के अलावा बिहार के इनौस राज्य अध्यक्ष मनोज मंजिल, आइसा के बिहार राज्य सचिव शिवप्रकाश रंजन, भाकपा-माले के पोलित ब्यूरो सदस्य धीरेन्द्र झा सहित कई शिक्षक भी छात्र-युवा अधिकार सभा को संबोधित करेंगे. पटना काॅलेज के परिसर में 12 बजे से सभा आरंभ हो जाएगी. इस अवसर पर पटना काॅलेज व आसपास के इलाकों को तख्तियों व झंडों से सजाया गया है.
आइसा-इनौस नेताओं ने कहा कि छात्र-युवाओं के साथ दिल्ली-पटना का विश्वासघात लगातार जारी है. सालाना दो करोड़ रोजगार और ‘अच्छे दिनों’ के वादे के साथ मोदी सरकार सत्ता में आई थी. उसने 3 साल से अधिक का कार्यकाल पूरा भी कर लिया है. लेकिन रोजगार देने की बजाए उसने उलटे रोजगार कटौती का रिकार्ड कायम कर दिया है और शिक्षा पर भी चैतरफा हमला बोल दिया है. ‘देशभक्ति’ पर अपनी छाती ठोकने वाली केंद्र सरकार अपने ही देश के छात्रा-युवाओं को तबाह करने पर तुली हुई है. सरकार चाहती है कि हमारे युवा बेरोजगारों की फौज में तब्दील हो जाएं ताकि ग्लोबल कैपिटल और काॅरपोरेट घरानों के लिए सस्ते मजदूर मिल सकें. इसलिए वह एक तरफ शिक्षा-रोजगार के अधिकारों पर हमला कर रही है, तो दूसरी ओर समाज में सांप्रदायिक जहर और नफरत की राजनीति भी शुरू कर चुकी है. शिक्षा-रोजगार छीनकर ‘गोरक्षा’, ‘राममंदिर’, ‘हिंदू राष्ट्र’, ‘लव जिहाद’, ‘ताजमहल तोड़ो’, ‘माॅब लिंचिंग’ जैसे अभियानों द्वारा युवाओं के हाथ में त्रिशुल थमा देने की साजिश रच रही है. इन्हीं परिस्थितियों में आइसा-इनौस ने ‘नफरत नहीं रोजगार चाहिए, शिक्षा और रोजगार चाहिए’ के नारे के तहत छात्र-युवा अधिकार यात्रा निकालने का फैसला किया है.
नीतीश जी ने कभी सम्मानजनक रोजगार और बेरोजगारी भत्ता का वादा किया था, लेकिन वो अपने वादे से मुकर गये हैं. ‘स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड’ व ‘सहायता भत्ता’ की घोषणा सिर्फ घोषणा रह गयी. छात्रवृत्ति में भी जबरदस्त कटौती की गयी, जिसके कारण छात्रों की इंजिनीयरिंग, मेडिकल की पढ़ाई बीच में ही रूक गयी. मेधा, बीएसएससी, इंटर आदि घोटाले, 6 लाख से अधिक पद-रिक्तियों के बावजूद ठेके पर नौकरियां और शोषण जारी है.‘समान काम के लिए समान वेतन’ की अवज्ञा लगातार जारी है और स्थायी नौकरी के वादे से सरकार मुकर रही है. ये सारे मुद्दे छात्र-युवा अधिकार सभा के मुद्दे होंगे.
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