विजय सिंह ,आर्यावर्त डेस्क,15 नवंबर, 2017 । दो साल तक पश्चिम बंगाल और उड़ीसा के बीच चले रसगुल्ला की दावेदारी पर अंततः पश्चिम बंगाल की जीत हुयी और रसगुल्ला का भौगोलिक उद्भव (ज्योग्राफिकल इंडिकेशन ) पश्चिम बंगाल के नाम हो गया. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री मंमता बनर्जी ने इसे बंगाल के लिए मीठी खबर बताया.दरअसल २०१५ में उड़ीसा ने रसगुल्ला का गई ज्योग्राफिकल इंडिकेशन टैग हासिल करने के लिए अपनी दावेदारी पेश की थी जिस पर बंगाल ने आपत्ति जताई थी.बंगाल ने अपने दावे में रसगुल्ला(रसोगुल्ला ) को बंगाल की उत्पत्ति बताते हुए पक्ष में सबूत पेश किये जिसके बाद जी.आई टैग बंगाल के नाम कर दिया गया.उड़ीसा की दावेदारी को जी.आई ने मजबूत नहीं माना. पश्चिम बंगाल ने अपने तर्क में बताया कि १८६८ में कोलकाता में पहली बार नविन चंद्र दास नामक मिठाई बनाने वाले ने रसोगुल्ला बनाया था जिसे जी.आई ने सही पाया और बंगाल को रसगुल्ला का टैग प्रदान किया.उड़ीसा ने अपने दावे में १३वीं सदी में पहली बार जगन्नाथ पुरी में रसगुल्ला के प्रयोग की बात कही थी जो असल में खीर मोहन पाया गया. इस निर्णय से जहाँ जगन्नाथ पुरी ,उड़ीसा से बीजू जनता दाल के विधायक महेश्वर मोहंती ने रसगुल्ला टैग प्राप्त करने की लड़ाई जारी रखने की बात कही वहीँ पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री मंमता बनर्जी ने रसोगुल्ला को बंगाल का अन्तर्राष्ट्रीय फ़ूड ब्रांड बनाने की बात कही.
बुधवार, 15 नवंबर 2017
अंततः रसोगुल्ला बंगाल का हुआ
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