संविधान विशेषज्ञ राजीव धवन ने लिया संन्यास - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 11 दिसंबर 2017

संविधान विशेषज्ञ राजीव धवन ने लिया संन्यास

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नयी दिल्ली, 11 दिसम्बर, उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता एवं जाने-माने संविधान विशेषज्ञ राजीव धवन ने एक मामले की सुनवाई के दौरान हुए अपमान का हवाला देते हुए वकालत के पेशे से संन्यास लेने की घोषणा की है। श्री धवन ने दिल्ली के शासन के अधिकार क्षेत्र को लेकर लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ केजरीवाल सरकार की अपील की पिछली दिनों हुई सुनवाई के दौरान अदालत कक्ष में हुए अपमान का हवाला दिया है। उन्होंने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा को एक पत्र लिखकर कहा है, “दिल्ली केस में अपमानित होने के बाद मैंने वकालत पेशा छोड़ने का फैसला लिया है।” वरिष्ठ अधिवक्ता ने लिखा है, “आप वरिष्ठ अधिवक्ता के तौर पर दिये गये गाउन को वापस लेने के हकदार हैं, फिर भी मेरी यह इच्छा है कि मैं इस पेशे में अपने योगदान के लिए गाउन यादगार के तौर पर अपने पास रखूं।” ‘एनसीटी दिल्ली बनाम उपराज्यपाल’ मामले में न्यायमूर्ति मिश्रा ने श्री धवन के व्यवहार को लेकर सवाल खड़े किये थे और हाल के दिनों में विभिन्न वरिष्ठ अधिवक्ताओं के आचरण और व्यवहार पर नाराजगी जतायी थी। मुख्य न्यायाधीश ने पारसी महिलाओं के अधिकारों से संबंधित एक मामले की सुनवाई के दौरान ‘दिल्ली केस’ और ‘अयोध्या मामले’ में वकीलों के खराब व्यवहार का उल्लेख किया था। उन्होंने श्री धवन, श्री सिब्बल और अन्य अधिवक्ताओं की ओर उंगली उठायी थी। हाल के वर्षों में श्री धवन का उच्चतम न्यायालय के विभिन्न न्यायाधीशों के साथ कड़ी कहासुनी होती रही है। वर्ष 2013 में टूजी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाला मामले की सुनवाई के दौरान भी वरिष्ठ अधिवक्ता ने पीठ की अध्यक्षता कर रहे तत्कालीन न्यायाधीश जी एस सिंघवी को निशाना बनाया था। बाद में न्यायमूर्ति सिंघवी सुनवाई से अलग हो गये थे। वर्ष 2014 में सहारा-सेबी विवाद में उनकी कहासुनी न्यायमूर्ति (अब सेवानिवृत्त) के एस राधाकृष्णन तथा न्यायमूर्ति जे एस केहर (मुख्य न्यायाधीश पद से सेवानिवृत्त्त) से हुई थी और उन्होंने भी श्री धवन के व्यवहार पर सवाल खड़े किये थे। इसी मामले में श्री धवन ने 2014 और 2016 में न्यायमूर्ति टी एस ठाकुर (मुख्य न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत्त) से अदालत कक्ष में ही कहासुनी की थी। तब न्यायमूर्ति ठाकुर ने चेतावनी भी दी थी कि अदालत कक्ष में खराब व्यवहार करने वाले अधिवक्ताओं की ‘वरिष्ठता’ वापस लिये जाने पर भी विचार किया जा सकता है। अब मौजूदा न्यायाधीश ने श्री धवन एवं अन्य वकीलों के व्यवहार को लेकर नाराजगी जतायी थी।

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