आर्थिक फैसलों पर होगा राजनीतिक वास्तविकता का असर : एसोचैम - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 17 दिसंबर 2017

आर्थिक फैसलों पर होगा राजनीतिक वास्तविकता का असर : एसोचैम

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नई दिल्ली, 17 दिसम्बर, प्रमुख उद्योग संगठन, एसोसिएटेड चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (एसोचैम) ने रविवार को कहा कि भारतीय कॉरपोरेट (इंडिया इंक) को यह समझने की जरूरत है कि सरकार के आर्थिक फैसलों पर राजनीतिक वास्तविकताओं का असर होगा, क्योंकि एक तो वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) जैसी नई व्यवस्था अभी तक व्यापारियों को पूरी तरह गले नहीं उतर पाई है और 2018 में कई प्रमुख राज्यों में विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं।  गुजरात विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के एक दिन पहले एसोचैम की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि श्रम कानून जैसे सुधार के सख्त कदम से भारतीय कॉरपोरेट को कोई उम्मीद नहीं रखनी चाहिए, क्योंकि जनता के गले यह नहीं उतरेगा, वह भी ऐसे समय में जब कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। उद्योग चैंबर ने अपने आंतरिक आकलन के आधार पर कहा है, "श्रम कानूनों में लचीलापन जैसे सख्त सुधार का कोई भी कदम जन भावना के विपरीत होगा हो सकता है। इसलिए इस मोर्चे पर इंडिया इंक को अपनी उम्मीद छोड़ देनी चाहिए।" एसोचैम ने कहा है, "2019 में लोकसभा चुनाव, और 2018 में राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और कर्नाटक के विधानसभा चुनाव होने वाले है। इसलिए मतदाताओं की भावना का असर केंद्र और राज्य सरकारों की नीतियों में अनिवार्य रूप से देखने को मिलेगा।"

हालांकि एसोचैम का कहना है कि मौजूदा राजनीतिक व आर्थिक माहौल का ही नतीजा है कि जीएसटी को फिर से सरल व कारगर बनाने की उम्मीद की जा रही है। जीएसटी की दरों को तर्कसंगत बनाया जा सकता है। एसोचैम ने कहा कि नई अप्रत्यक्ष कर प्रणाली व्यापारियों के गले नहीं उतरी है, जो राजनीतिक दलों के लिए एक बड़ी राजनीतिक ताकत है और गुजरात चुनाव के दौरान यह अहम मसला था। इसके अलावा बजटीय प्रस्तावों से छोटे व मझौले कारोबारियों को भी प्रोत्साहन मिलेगा। उद्योग संगठन ने आगे कहा, "अल्पावधि में रोजगार पैदा करने में उनकी भूमिका देखी जा रही है और 2019 के आम चुनाव से पहले सरकार के लिए नौकरियां पैदा करना एक बड़ा मसला है।" एसोचैम के मुताबिक, अन्य कारकों में खासतौर से महंगाई पर नजर रखनी होगी, जोकि अब सरकार की भी प्रमुख प्राथमिकताओं में शामिल होगी। इसके अलावा 2018 में मॉनसून भी ग्राणीण क्षेत्र की मांग पर असर डालने वाला एक महत्वपूर्ण कारक होगा। उधर, बैंक व कंपनियां अपने बैलेंस शीट को सुधारने में जुटी हैं।

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