पिछले सप्ताह बॉलीवुड अभिनेत्री और पूर्व मिस वर्ल्ड प्रियंका चोपड़ा जब लॉस एंजिलस में टीवी शो ' क्वांटिको 3 ' की शूटिंग कर रही थी तब वे अनजाने भारत से हॉलीवुड जाने वाले भारतीय अभिनेताओं के अस्सी बरस के इतिहास को गौरवान्वित कर रही थी। अमूमन किसी भी भारतीय सितारे के हॉलीवुड गमन पर बहुत शोर मचता है। अखबार और मनोरंजन टेलीविज़न दिल खोलकर उस एक्टर और उसकी फिल्म के बारे में इतनी जानकारी परोसते है कि वह किसी अंतरिक्ष यात्री की तरह लोकप्रिय हो जाता है। अस्सी नब्बे के दशक के पहले इक्का दुक्का भारतीय नाम ही विदेशी फिल्मों में सुनाई देता था। कबीर बेदी एक इटालियन फिल्म ( सांदोकान ) में अभिनय कर भारत में अपनी अलग इमेज बना चुके थे। मुंबई में जन्मी पर्सिस खम्बाटा एक अमेरिकन टेलीविज़न धारावाहिक ( स्टार ट्रेक ) में सिर घुटवा कर देश की फ़िल्मी और गैर फ़िल्मी पत्रिकाओं के कवर पर आचुकी थी। इसी दौर में परवीन बॉबी ने भी प्रतिष्ठित ' टाइम ' पत्रिका पर अपनी जगह बनाई थी।
यूँ तो भारत में आर्थिक सुधारों की शुरुआत से पहले ही चुनिंदा एक्टर सात समंदर पार जा चुके थे परन्तु इस रुझान में तेजी नब्बे के दशक के बाद ही आई। कहने को भारत में दुनिया की सबसे ज्यादा फिल्मे बनती है परन्तु कमाई के मुकाबले वे आज भी हॉलिवुड की फिल्मों से कोसो दूर है। इसके उलट हॉलिवुड ब- मुश्किल सवा सौ ढेड़ सौ फिल्मों से आगे नहीं जा पाता परन्तु वैश्विक प्रदर्शन के मामले में उनकी हिंदी या क्षेत्रीय भाषा में डब फिल्मे देश के कस्बाई सिनेमा घरों में भी हाउस फुल हो जाती है। इसी तथ्य को ध्यान रखते हुए हॉलीवुड के प्रयोगधर्मी निर्माताओं ने एशियाई या भारतीय कलाकारों को अपनी स्टार कास्ट का हिस्सा बनाना आरम्भ किया। ऐसा नहीं है कि वहाँ बकवास और पकाऊ फिल्मे नहीं बनती , दर्जनों बनती है परन्तु उसमे अगर देसी एक्टर है तो भारत में तो उसे इतने दर्शक मिल ही जाते है कि वह अपनी लागत निकाल सके।
ओमपुरी ( सिटी ऑफ़ जॉय , ईस्ट इस ईस्ट ) नसीरुद्दीन शाह ( द मानसून वेडिंग , द लीग ऑफ़ एक्स्ट्रा आर्डिनरी जेंटलमेन ) रोशन सेठ ( गांधी ) गुलशन ग्रोवर ( डिवाइन लवर्स , प्रिजनर ऑफ़ द सन ,बीपर ) देव पटेल, फ्रीडा पिंटो ( स्लमडॉग मिलिनियर ) ऐश्वर्या राय ( पिंक पेंथर 2 , मिस्ट्रेस ऑफ़ स्पाइसेस ) विक्टर बनर्जी ( फॉरेन बॉडी , बिटर मून ) इरफ़ान खान ( लाइफ ऑफ़ पाई ,नेमसेक ,जुरासिक वर्ल्ड ) निम्रत कौर ( होम लैंड टीवी सीरीज ) नवीन एंड्रू , कुणाल अय्यर , सईद जाफरी , मल्लिका शेरावत , मनोहर नाईट श्यामलम , अनुपम खेर , अनिल कपूर ,तब्बू- ये फेहरिस्त और लम्बी जा सकती है परन्तु एक नाम जो इस परंपरा की नीव का पत्थर बना उसे भुला दिया जाता रहा है। वह नाम है साबू दस्तगीर। मैसूर महाराजा के महावत के तरह वर्षीय पुत्र साबू पर डॉक्यूमेंट्री फिल्म मेकर रोबर्ट फ्लाहर्टी की नजर पड़ी और उसे उन्होंने अपनी फिल्म ' एलीफैंट बॉय ' में लीड रोल दिया। 1937 में बनी इस फिल्म ने साबू को रातो रात स्टार बना दिया। भारत में ही जन्मे रुडयार्ड किपलिंग की लिखी ' जंगल बुक ' पर बनी अन्य फिल्मों में साबू ' मोगली ' और इंडियन प्रिंस के किरदार निभाते रहे। भारत सांप सपेरों का देश है - दुनिया भर में यह धारणा भी साबू की फिल्मों की ही वजह से बनी। अपने तेईस बरस के कैरियर में साबू ने 24 फिल्मो के जरिये अपने को हॉलीवुड में स्थापित कर लिया और अमेरिकी नागरिक हो गए। 1960 में उन्हें ' हॉलीवुड हाल ऑफ़ फेम ' में सम्मिलित किया गया। 2 दिसंबर 1963 को हॉलीवुड जाने वाले इस पहले भारतीय की मृत्यु हो गई। साबू दस्तगीर की अधिकांश फिल्मे ' यू ट्यूब ' पर अच्छी हालत में अब भी मौजूद है।
रजनीश जैन
शुजालपुर सिटी
संपर्क : 9424518100
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