नयी दिल्ली 19 दिसंबर, छात्रों को स्नातकोत्तर और पीएचडी की डिग्री देने के लिए देश के बीस भारतीय प्रबंधन संस्थानों (आईआईएम) को राष्ट्रीय महत्त्व का दर्ज़ा देने वाले विधेयक को राज्यसभा ने आज पारित कर दिया। इसके साथ ही इस विधेयक पर संसद की मुहर लग गयी। लोकसभा इसे पहले ही पारित कर चुकी है। मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावेडकर ने इस विधेयक पर करीब दो घंटे तक चली बहस के बाद जवाब देते हुए कहा कि उच्च शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ने और उसे प्रबंधन के क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर प्रदान करने के लिए इसे राष्ट्रीय स्तर के संस्थान का दर्ज़ा दिया जा रहा ताकि छात्रों को पीजी डिप्लोमा की जगह डिग्री मिले और वे प्रबंधन के क्षेत्र में पीएचडी और पोस्ट डाक्टरल की डिग्री भी प्राप्त कर सकें। श्री जावड़ेकर ने कहा कि इन आईआईईएमएस को इस विधेयक के जरिये अधिक स्वायत्तता दी जा रही है और इनके बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स में महिलाओं तथा दलित एवं अनुसूचित सदस्यों को भी प्रतिनिधित्व दिया जाएगा एवं चार सरकारी प्रतिनिधियों को हटाकर उनकी जगह पूर्व छात्रों को बोर्ड में शामिल किया जायेगा। बोर्ड ही आईआईएम के प्रमुख की नियुक्ति करेगा। कांग्रेस के जयराम रमेश के प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि चूँकि बोर्ड पांच साल के लिए होगा इसलिए इसमें छात्रों को प्रतिनिधित्व नहीं दिया जा रहा है क्योंकि छात्र दो वर्ष के लिए ही यहाँ पी जी डिग्री की पढ़ाई करने आयेंगे। चर्चा में कांग्रेस के राजीव गौडा, समाजवादी पार्टी के नरेश अग्रवाल, भारतीय जनता पार्टी के अनिल देसाई विनय सहस्त्रबुद्धे, जनता दल (यू) की कहकशां परवीन ने भाग लिया।
मंगलवार, 19 दिसंबर 2017
आईआईएम के छात्रों को डिग्री देने वाले विधेयक पर संसद की मुहर
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