- - यात्रियों को 8 डिब्बे की ट्रेनों में सफर करना पड़ रहा है
रतलाम। रतलाम से इंदौर के बीच का रेल यात्री इतना परेशान हो गया है कि उसकी गुहार कोई सुनने वाला नहीं। आठ डब्बे की गाड़ी डेमू के नाम से चलाई जा रही है, जिसमें भेड़-बकरी की तरह यात्रियों को यात्रा करने पर मजबूर किया जा रहा है और इस पर भी अब इस ट्रेन को अम्बेडकर नगर से भीलवाड़ा तक बड़ा दिया गया है। इस ट्रेन की स्थिति इतनी खराब है कि सवा सौ किलोमीटर की यात्रा तीन से साढ़े तीन घंटे में पूरी की जा रही है, जबकि इस रूट पर अब 20-22 डिब्बे की ट्रेन चलाई जाना चाहिए और जहां 110 की स्पीड से गाड़ी चलाई जा रही है, ऐसे में इस ट्रेक पर मामा गाड़ी की तरह ट्रेन का संचालन कहां तक न्यायौचित है। अपडाउन करने वाले यात्री भी परेशान है। उन्हें समय पर गाड़ी उपलब्ध नहीं है। उन्हें डेढ़ से दो घंटे रेलवे स्टेशन पर ही इंतजार करना पड़ता है। रतलाम से 6 बजे चलने वाली गाड़ी करीब 8.30 बजे इंदौर पहुंच जाती है, जबकि अपडाउनर्स ने मांग की थी कि यह ट्रेन 7 से 8 के बीच चलाई जाना चाहिए और वापसी में यह ट्रेन इंदौर से शाम 6 से 7 के मध्य चले ताकि अपडाउन यात्रा करने वाले यात्रियों और नौकरीपेशा लोगों को सुविधा हो सके।
दूरी बड़ी लेकिन कोच नहीं
अपडाउनर्स के प्रतिनिधि राहुल दुबे का कहना है कि डेली अपडाउन करने वाले यात्री रेल प्रशासन की अव्यवस्था को कोस रहे है। इंदौर से रतलाम की ओर अपडाउन वालों की समस्याओं का निराकरण मात्र 17 दिन मेें कर दिया गया, जबकि हमारे साथ यह सौतेला व्यवहार प्रतित हो रहा है, जो समझ से परे है। इसके अतिरिक्त इंदौर से जो रात्री में 8.15 बजे रतलाम ट्रेन आती थी उसे 8.10 किया गया। उसके बावजूद उसका रतलाम पहुंचने का समय 23.10 बजे है। 20 मिनिट अतिरिक्त समय बड़ा दिया गया जो अनावश्यक है। इस ट्रेन का गौतमपुरा में अनावश्यक लम्बा ठहराव दिया गया है। डेमू ट्रेन कम दूरी के लिए चलाई जाती है,लेकिन इसे आठ डिब्बों के साथ भिलवाड़ा तक बढ़ाया जाना कहा तक उचित है। यदि इसे बढ़ाना ही था तो इसके कोचस में वृद्धि करना थी, साथ ही ट्रेन की गति भी बढ़ाना थी। आज के समय में लोग कम समय में गंतव्य तक पहुंचना चाहते है। रेलवे को चाहिए कि पूर्व की टे्रनों की खिंचतान की जगह अतिरिक्त ट्रेने चलाई जाए, जिससे जनसमस्या का निराकरण जमीनी स्तर तक हो सके। पूर्व में भी पश्चिम रेलवे मुख्यालय को पत्र लिखा गया था, जिसमें रतलाम प्रात: 6 बजे के पश्चात 7 से 8 के मध्य एवं इंदौर से रात्री 8.15 के पूर्व ट्रेन चलाने के लिए रेक उपलब्ध करवाने का आग्रह मुख्य यात्री परिचालन प्रबंधक से किया गया था, जिस पर उन्होंने लिखा था कि यह मामला रेलवे बोर्ड के अधिकार क्षेत्र का है। वहीं इस संबंध में निर्णय कर सकते है।
गेज कन्वर्शन से यात्री ओर परेशान
आश्चर्य है कि मीटर गेज से ब्राडगेज का गेज कन्वर्शन हुए महिनों हो गए, लेकिन अभी तक इस ट्रेक पर यात्री सुविधा के नाम पर मात्र दो जोड़ी गाड़ी ही चल रही है, जिसे पर्याप्त नहीं कहा जा सकता, जबकि मीटरगेज के समय रेल यात्रियों को इंदौर आने-जाने में काफी सुविधा होती थी। यही स्थिति अजमेर तक के यात्रियों के लिए थी, लेकिन अब इस ट्रेक पर ट्रेन में यात्रा करना दुभर हो गया है। लगता है प्रभावित जनप्रतिनिधियों की बस मालिकों से सांठगांठ है, जिसके चलते ेवे इस ट्रेक पर अतिरिक्त ट्रेन चलाने में रूचि नहीं रखते। रतलाम से इंदौर यात्रा करने वाले यात्रियों को 125 से 220 रुपए तक का किराया अदा करना पड़ता है, जबकि ट्रेन में मात्र 30 रुपए लगते है।
तेज गति की गाड़ी चलाई जाए
रेल प्रशासन को चाहिए कि नीमच से इंदौर नहीं तो कम से कम रतलाम से इंदौर के बीच तेज गति की एक्सप्रेस ट्रेन चलाई जाए, जो सवेरे रतलाम और इंदौर से चले और शाम को इंदौर से रतलाम के लिए चले। इससे व्यवसायिक राजधानी इंदौर जाने वालों को सुविधा हो सके।
पोस्टकार्ड अभियान चलेगा यदि
रतलाम जागरूक मंच के अध्यक्ष शरद जोशी ने कहा कि यदि रेल प्रशासन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया तो नीमच से लगाकर इंदौर तक के नागरिकों एवं पत्रकारों से आग्रह करके पोस्टकार्ड अभियान चलाकर रेल मंत्री, लोकसभा अध्यक्ष तथा क्षेत्रीय सांसदों का ध्यान आकर्षित किया जाएगा।।
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