नयी दिल्ली, 23 जनवरी, उच्चतम न्यायालय ने आधार की अनिवार्यता मामले में याचिकाकर्ताओं से पूछा कि पूर्णरूपेण जुड़ चुके आधुनिक समाज में आधार नंबर के इस्तेमाल से क्या कुछ फर्क पड़ जायेगा? मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ के एक सदस्य न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हो रहे वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान एवं कपिल सिब्बल से पूछा, “हमारा डाटा निजी कंपनियों के पास मौजूद है। इसके बावजूद क्या आधार संख्या के इस्तेमाल से कुछ और अधिक फर्क पड़ जायेगा?” इस पर श्री सिब्बल ने जवाब दिया कि यह तो शीर्ष अदालत को तय करना है कि सरकार किस सीमा तक निजी जानकारी मांगती है। उन्होंने कहा, “निश्चित तौर पर हम व्यापक नेटवर्क वाली दुनिया में रहते हैँ और हमें जानकारियां साझा करनी होती हैं, लेकिन इसकी सीमा क्या होनी चाहिए?” इस पर न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने पूछा कि यदि इस संबंध में कोई घोषणा कर दी जाती है कि निजी जानकारियों का इस्तेमाल केवल उसी काम के लिए किया जायेगा, जिसके लिए उसे लिया गया है, तो क्या डाटा लीक होने का खतरा टल जायेगा? श्री दीवान और एक अन्य वकील विपिन नैयर ने दलील दी कि सरकार का कर्तव्य नागरिकों के अधिकारों को संरक्षित करना है। इस बीच, केंद्र सरकार की ओर से एटर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने दलील दी कि मार्च तक डाटा संरक्षण कानून के लिए समिति अपनी रिपोर्ट सौंप देगी। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत के सेवानिवृत्त न्यायाधीश बीएन श्रीकृष्णा की अध्यक्षता में एक समिति गठित की है, जो डाटा संरक्षण कानून के लिए सिफारिश देगी। मामले की सुनवाई कल चौथे दिन भी जारी रहेगी। संविधान पीठ के अन्य सदस्य हैं- न्यायमूर्ति ए के सिकरी, न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति अशोक भूषण।
बुधवार, 24 जनवरी 2018
आधार मामला : सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं से पूछे सवाल
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