पटना 7 जनवरी 2018, भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि देवघर ट्रेजरी घोटाला मामले में लालू प्रसाद को साढ़े तीन बरसो की सजा सुनाई गई है. हमारी पार्टी का मानना है कि इसमें न्याय से अधिक राजनीति हुई है और भाजपा अपने राजनीतिक विरोधियों के दमन पर उतारू है. उन्होंने कहा कि 2 जी स्पैक्ट्रम में सीबीआई दोषियों के खिलाफ एक भी सबूत नहीं जुटा सकी, क्योंकि उसमें बड़े कारपोरेट फंस रहे थे. वहीं सीबीआई मोदी सरकार के इशारे पर उनके राजनीतिक विरोधियों को हर तरह से परेशान करने में जी-जान से जुटी है. उन्होंने यह भी कहा कि चारा घोटाले की शुरूआत डॉ जगन्नाथ मिश्र की सरकार के समय हुई और लालूजी की सरकार तक चलती रही. इसमें भाजपा के भी प्रभावशाली नेता शामिल थे. जिस देवघर ट्रेजरी स्कैम में लालू प्रसाद को सजा हुई है, उसमें उनपर आरोप है कि विभागीय टिप्पणी को नजरअंदाज कर एम प्रसाद और बीएन शर्मा को सेवा विस्तार दिया गया. यदि इसे ही आधार बनाया जाए तो सृजन घोटाले के तार नीतीश कुमार, सुशील मोदी व गिरिराज सिंह से जुड़ते हैं. इन तमाम लोगों ने सृजन घोटाला के मास्टरमाइंड मनोरमा देवी को न केवल पुरस्कृत किया, बल्कि मनोरमा देवी को सहकारिता की ग्रैंड मदर की संझा दी थी. सृजन खजाना घोटाले के दौरान लंबे समय तक वित्तमंत्री का पद ‘घोटाला उजागर पुरुष’ सुशील कुुमार मोदी के पास ही था. राजकोष का पैसा वित मंत्रालय के इजाजत के बिना नहीं निकल सकता है. इसलिए सुशील मोदी पर कार्रवाई संवैधानिक नियमों के अनुरूप बनती है. लेकिन भाजपा नेताओं के सवाल पर ‘जीरो टाॅलरेंस’ की नीति औंधे मुंह गिर जाती है.
रविवार, 7 जनवरी 2018
न्याय से अधिक राजनीति हुई, पक्षपातपूर्ण कार्रवाई. : भाकपा-माले
Tags
# बिहार
Share This
About आर्यावर्त डेस्क
बिहार
Labels:
बिहार
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
संपादकीय (खबर/विज्ञप्ति ईमेल : editor@liveaaryaavart या वॉट्सएप : 9899730304 पर भेजें)

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें