हरनौत (नालंदा). हुजूरमन कम से कम राजो राम नामक दिव्यांग को सुन लीजिए.इनका न बाल और न ही बच्चा है. हां, और तो और जीवनभर साथ निभाने का वादा करने वाली अर्द्धागिनी भी साथ छोड़कर चली गयी. वे अकेले से दुकेले हो गये और अब तन्हा रह गये. तब ऐसी परिस्थिति में अनुज उमेश राम सामने आकर से दिव्यांग भाई की सुध ले रहे हैं. नालंदा जिले में हरनौत प्रखंड हैं लोहरा ग्राम पंचायत.इस पंचायत में है लोगरा गांव. इसी गांव में रहते हैं स्व.श्रीराम के पुत्र राजो राम.जब 9 साल के थे तब मोतियाबिंद से राजो राम प्रभावित हो गये. काफी खर्च किये पर ठीक नहीं हो सके.आँखों से दिव्यांग हो गये. तब अनुज उमेश राम और उनकी पत्नी कंचन देवी सामने आयी.गरीबी के दलदल में परिवार के 7 बच्चे हैं. 4 बच्चे मर गये. 3 लड़के जीर्वित हैं. उमेश राम कहते हैं कि भाई साहब की शादी के 6 साल हुई थी कि भाभी की मृत्यु हो गयी. कोई संतान नहीं हुआ. भइया की परवरिश कर रहा हूं. भाभी के मरे 10 हो गया है. उमेश राम कहते हैं कि हमलोग 9 हजार रू.देकर पट्टा पर 1बीघा जमीन लेकर खेती करते हैं. गरीबी कमरभर है.किसी तरह से गृहस्थी चल रही हैं.लोहरा पंचायत के मुखिया ने टोला वाइज शौचालय निर्माण कराया गया है. इसमें 'दुसाध' जाति के लोगों का शौचालय बना ही नहीं.पासवान और राम के सैकड़ों परिवारों का शौचालय बना ही नहीं है. यहां के लोग खुले में शौच कर रहे हैं.
सोमवार, 1 जनवरी 2018
बिहार : हुजूरमन कम से कम दिव्यांग को सुन ही लीजिए
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