फॉर्म मालिकों ने हाईकोर्ट के फैसले को दी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 15 जनवरी 2018

फॉर्म मालिकों ने हाईकोर्ट के फैसले को दी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

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नोएडा 14 जनवरी, उत्तर प्रदेश के गौतमबुद्ध नगर जनपद में यमुना नदी के डूब क्षेत्र में बने हजारों फार्म हाऊस के मालिकों ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका लगाई है और न्यायालय से फॉर्म हाउसों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने के लिए नोएडा प्राधिकरण को आदेश देने की अपील की है। फार्म हाऊस मालिकों की संस्था ए. जे. एस. फार्म हाउस ओनर एसोसिएशन के अध्यक्ष रमणीक बजाज ने यूनीवार्ता को बताया कि फार्म हाउस की जमीन ए. जे. एस. बिल्डर से खरीदी गई है। जमीन को खरीदने से पूर्व अधिकांश लोगों ने नोएडा प्राधिकरण, गढ़मुक्तेश्वर के अपर जिलाधिकारी (भूमि अधिग्रहण) तथा सिंचाई विभाग के अधिकारियों से दस्तावेजों की जांच करवाई थी। अधिकारियों से इजाजत मिलने के बाद यह भूमि बिल्डर से खरीदी गयी। इतना ही नहीं ए. जे. एस. फार्म हाउस ओनर एसोसिएशन के सदस्यों को सूचना के अधिकार के द्वारा (आरटीआई) जानकारी मिली है कि जिस भूमि पर उनके फार्म हाऊस बने वह गांव सागपुर जो वर्ष 1950 में पंजाब राज्य के गुड़गांव (गुरुग्राम) जिले के अंतर्गत आता था तथा यह भूमि वायु सेना के लिए अधिगृहित की गयी थी। उस क्षेत्र नगली सागपुर शामिल नहीं था। उन्होंने कहा कि उन लोगों ने नोएडा प्राधिकरण के कार्यकारी अधिकारी आलोक टंडन को पत्र लिख कर उच्चतम न्यायालय के फैसला आने तक कार्रवाई नहीं करने की अपील की है लेकिन अभी तक उनकी ओर से पत्र का जवाब नहीं मिला है। संस्था के महासचिव रवि गुप्ता का कहना है कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय का आदेश भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 के प्रावधानों के भी अनुरूप नहीं है। इसलिए सर्वोच्च अदालत में न्याय की गुहार लगाई गयी है जिस पर सोमवार को सुनवाई होगी। नोएडा प्राधिकरण के विशेष कार्य अधिकारी राजेश कुमार सिंह का कहाना है कि जनहित याचिका संख्या 11539/2015 के मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने जुलाई 2017 में यमुना पुश्ता के डूब क्षेत्र में आने वाली नगली नगला और नगली सागपुर गांव की 482 एकड़ भूमि पर कब्जा वायु सेना को देने का आदेश पारित किया था जिसका पालन जिला प्रशासन द्वारा करवाया जाना है। उधर गौतमबुद्ध नगर के जिला अधिकारी बीएन सिंह ने कहा कि अदालती आदेश का पालन हर हाल में करावाया जाएगा। गौरतलब है कि सन 1950 में सरकार ने नगली नगला और नगली सागपुर गांव की सीमा में आने वाली यमुना क्षेत्र की करीब 482 एकड़ भूमि सरकार ने बमबारी सीमा के लिए वायू सेना को दी थी। उस दौरान वायू सेना को दी गई भूमि का अधिकांश इलाका जनपद बुलंदशहर की सीमा में लगता था। इस कारण इस भूमि का अधिग्रहण भी बुलंदशहर के जिला अधिकारी के माध्यम से किया गया। वर्ष 2017 तक सेना ने इस भूमि का प्रयोग नहीं किया। गत साल इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका कह सुनवाई करते हुए उपरोक्त गांव की भूमि को खाली करवा कर वायू सेना को देने का आदेश दिया था।

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