बिहार : महाराष्ट्र में दलित-बहुजनों के खिलाफ हिंसा के लिए महाराष्ट्र सरकार जिम्मेवार. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

बुधवार, 3 जनवरी 2018

बिहार : महाराष्ट्र में दलित-बहुजनों के खिलाफ हिंसा के लिए महाराष्ट्र सरकार जिम्मेवार.

  • 5 जनवरी को भाकपा-माले का राज्यव्यापी विरोध दिवस.

government-responsibel-for-koreganv-bheema-cpi-ml
पटना 3 जनवरी, भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव में दलितों पर हिंदुवादी संगठनों द्वारा किए गए बर्बर हमले की कड़ी निंदा की है. उन्होंने कहा कि एक बार फिर से भाजपा का दलित प्रेम का ढोंग उजागर हो गया है. महाराष्ट्र की भाजपा सरकार नया-पेशवा राज चला रही है. सहारनपुर, ऊना की कड़ी में भीमा-कोरेगांव की घटना हुई है. इसके खिलाफ हमारी पार्टी ने 5 जनवरी को पूरे बिहार में विरोध दिवस आयोजित करने का फैसला किया है. भाकपा-माले ने अपने बयान में कहा है कि प्रत्येक वर्ष 1 जनवरी को दलित-बहुजन भीमा-कोरेगांव में 1818 के युद्ध की पुण्यतिथि मनाने के लिए इकट्ठा होते हैं. इस युद्ध में ब्रिटिश बम्बई नेशनल इन्फैंट्री, जिसमें ज्यादातर दलित सैनिक थे, ने पेशवा की सेना को हराया था. इसलिए इस दिवस को दलित समुदाय के लोग ब्राह्मण पेशवाओं के खिलाफ विजय दिवस के रूप में मनाते आए हैं. इस साल उसके 200 वर्ष पूरे हुए, इस कारण इसका कहीं अधिक महत्व था. लेकिन इस बार समारोह के लिए एकत्र हुए लोगों पर भगवा झंडाधारियों ने बर्बर तरीके से हमले किए, परिणामस्वरूप एक व्यक्ति की मौत हो गयी और कई लोग जख्मी हो गये. भीमा-कोरेगांव के नजदीक वडु बुद्रुक में दलितों पर पत्थरों से हमला किया गया और दलितों के खिलाफ ‘सामाजिक बहिष्कार’ का आयोजन किया गया। 

भीमा-कोरेगांव में दलित-बहुजनों की एक बड़ी सभा की पहले से ही उम्मीद थी, लेकिन सभा की सुरक्षा के लिए पुलिस की उपस्थिति नगण्य थी. हिंदुवादी संगठनों के नेता मिलिंद एकबोटे और सिंभाजी भिडे के नेतृत्व में दलितों पर हमला किया गया. एकबोटे भाजपा के पूर्व नगरसेवक हैं और भिडे भी भाजपा और शिवसेना के नेताओं के करीब हैं. 2 जनवरी को हमलों के खिलाफ दलितों का विरोध महाराष्ट्र और मुंबई के विभिन्न स्थानों पर आयोजित किए गए. देवेंद्र फडणवीस की अगुवाई वाली भाजपा सरकार द्वारा दलितों पर हमले के विरोध में 3 जनवरी को आयोजित महाराष्ट्र बंद को भाकपा-माले ने समर्थन किया है. भाकपा-माले ने यह भी कहा कि एक तरफ दलितों पर हमले हो रहे हैं, तो दूसरी ओर यह बेहद शर्मनाक है मीडिया का एक हिस्सा  इसे ‘जाति संघर्ष’ के रूप में प्रचारित कर रही है तथा इसके लिए दलितों को ही दोषी बता रही है. हमलावरों पर मुकदमा व गिरफ्तारी की बजाए उलटे गुजरात के चर्चित दलित नेता जिग्नेश मेवाणी व अन्य लोगों पर मुकदमा दायर कर दिया गया है.

कोई टिप्पणी नहीं: