मेरे भाई ने गलत काम नहीं किया, पैसे वालों ने फंसा दिया : गंगोत्री - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 6 जनवरी 2018

मेरे भाई ने गलत काम नहीं किया, पैसे वालों ने फंसा दिया : गंगोत्री

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पटना 05 जनवरी, चारा घोटाले के एक मामले में झारखंड के रांची जेल में बंद राष्ट्रीय जनता दल(राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव की इकलौती बहन गंगोत्री देवी यह मानने को कतई तैयार नहीं है कि उनके भाई ने कोई गलत काम किया है। श्री यादव की बहन अभी भी पटना के वेटनरी कॉलेज स्थित सर्वेंट क्वार्टर में रहती हैं। वह गंभीर रूप से बीमार हैं। उन्हें बोलने में भी काफी परेशानी होती है। अपने भाई के संबंध में जानकारी मिलने से वह इन दिनों गहरे सदमे में हैं। दिन भर बिस्तर पर पड़ी रहने वाली गंगोत्री बीच-बीच में उठकर अपने भाई के बारे में जानकारी लेती है और मानने को तैयार नहीं हैं कि उनके भाई ने कोई गलत काम किया है। उन्होंने कहा कि लालू गरीब का बेटा है। हमने साग-पात खाकर समय गुजारा है। लालू ने गरीबी देखी है और हमेशा गरीबों के लिए संघर्ष करता रहा है इसलिए वह गलत काम कर ही नहीं सकता। वह कहती हैं कि उनके भाई को पैसे वाले लोगों ने उसे फंसा दिया है। 

गंगोत्री देवी अपने दो बच्चों के साथ इसी क्वार्टर में रह रही हैं। उनका एक पुत्र बिहार पुलिस में कार्यरत है जबकि दूसरा रेलवे में नौकरी करता है। रात में नींद खुलने पर वह अपने बेटे बैरिस्टर यादव से भाई लालू के बारे में पूछती रहती हैं। कभी -कभी तो वह बच्चों की तरह श्री यादव से बात करने की जिद भी करने लगती है। उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा है कि इन दिनों उनका भाई जेल में है। उनका मानना है कि उनका भाई बिहार सरकार है और उसे जेल हो ही नहीं सकती। गुजरे दिनों को याद करते हुये वह बताती हैं कि पिताजी के पास कुछ नहीं था इसलिये हमलोग बड़ा कुछ सोचते भी नहीं थे। यह बात जरूर है कि लालू हमेशा बड़ी-बड़ी बातें किया करते थे जिसे सुनकर परिवार के लोग हंसते थे। समय बदला और वह बिहार के मुख्यमंत्री बन गये। गांव के बड़े लोगों से जो पैसा मिलता था उसी से उन्होंने पढ़ाई की। हालांकि उनका पढ़ने में मन नहीं लगता था लेकिन स्कूल प्रतिदिन जाते थे। स्कूल में नम्बर कम आने पर वह निराश नहीं होते थे। गंगोत्री देवी ने कहा कि लालू की बहुरिया (श्रीमती राबडी देवी) बहुत पूजा-पाठ करती हैं। लालू को कुछ नहीं होगा और भगवान उसकी रक्षा करेंगे। इतना कहते ही वह अपने पुत्र से एक बार फिर भाई से बात कराने की जिद पर अड़ गयीं। हालांकि किसी तरह उन्हें बहला-फुसला कर मनाया गया।

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