नयी दिल्ली 02 जनवरी, जानबूझकर ऋण नहीं चुकाकर कंपनी को गैर निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) के दायरे में लाने वालों को किसी भी कंपनी की नीलामी प्रक्रिया में शामिल होने से रोकने से संबंधित विधेयक पर आज संसद की मुहर लग गयी। राज्यसभा ने विधेयक को आज ध्वनिमत से पारित कर दिया। लोकसभा में इस विधेयक को पिछले सप्ताह पारित किया गया था। अब यह विधेयक दिवाला और शोधन अक्षमता (संशोधन) अध्यादेश का स्थान लेगा। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने दिवाला और शोधन अक्षमता (संशोधन) विधेयक 2017 पर हुयी चर्चा का जबाव देते हुये कहा कि यह नया कानून है इसलिए अभी बहुत सीखना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष बनाये गये इस कानून में जल्दी -जल्दी संशोधन नहीं आयेगा लेकिन आवश्यकता पड़ने पर संशोधन किया जायेगा। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए मजबूत बैंकिंग तंत्र की जरूरत है और इसलिए इस क्षेत्र को सशक्त बनाने के लिए कानूनों में आवश्यक उपाय किये जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि दिवाला एवं शोधन अक्षमता कानून के प्रभावी होने के बाद से 500 से अधिक मामले निपटाये जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि छोटे एवं मझौैले उद्यम क्षेत्र के लिए एक समिति बनायी गयी है और उसकी सिफारिशों के आधार पर या तो नया कानून बनेगा या इसी कानून में अलग से प्रावधान किया जायेगा। श्री जेटली ने कहा कि अध्यादेश में भी मामूली संशोधन किया गया है और उसे संशोधित रूप में पारित करने के लिए पेश किया गया है। उन्होंने कहा सवाल किया कि बैंकों ने बड़ी कंपनियाें के पास परिसपंत्तियां होने के कारण उन्हें गारंटर के आधार पर ऋण दिया गया था लेकिन ट्रेडिंग और ईपीसी कंपनियों को किस आधार पर ऋण दिया गया। इसलिए बैंकों को भी ऋण देने से पहले इस पर विचार करना चाहिए। इसके बाद सदन ने ध्वनिमत से इस विधेयक को पारित कर दिया। इसमें ऐसे प्रावधान किये गये जिससे किसी भी कंपनी द्वारा लिये गये ऋण को जानबूझकर गैर निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) बनाने में मददगार प्रवर्तक या निदेशक अब किसी भी कंपनी की नीलामी प्रक्रिया में भाग नहीं ले सकेंगे।
बुधवार, 3 जनवरी 2018
दिवाला एवं शोधन अक्षमता संशोधन विधेयक पर संसद की मुहर
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