सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाने की अनिवार्यता समाप्त - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

मंगलवार, 9 जनवरी 2018

सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाने की अनिवार्यता समाप्त

sc-modifies-order-says-playing-na-in-cinemas-not-mandatory
नयी दिल्ली 09 जनवरी, उच्चतम न्यायालय ने सिनेमाघरों में राष्ट्रगान की अनिवार्यता समाप्त कर दी है। मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने 30 नवम्बर 2016 के अपने अंतरिम आदेश में आज संशोधन किया।  न्यायालय ने अपने अंतरिम आदेश में सिनेमाघरों में राष्ट्रगान बजाना अनिवार्य किया था और इस दौरान दर्शकों को अपनी सीट पर खड़ा होना अनिवार्य किया था। इस अनिवार्यता से दिव्यांगों और नि:शक्त लोगों को छूट दी गयी थी।  न्यायमूर्ति मिश्रा ने पूर्व के आदेश में संशोधन करते हुए आज कहा कि यह सिनेमाघरों के विशेषाधिकार पर निर्भर करेगा कि वे राष्ट्रगान बजाये या नहीं। हालांकि न्यायालय ने स्पष्ट किया कि यदि राष्ट्रगान बजाया जाता है तो दर्शकों से अपेक्षा की जाती है कि वे इसका सम्मान करेंगे।  न्यायालय का संशोधन आदेश केंद्र सरकार के कल के उस हलफनामे के बाद आया है जिसमें उसने कहा था कि वह सिनेमाघरों में राष्ट्रगान को फिलहाल अनिवार्य न बनाये।

कोई टिप्पणी नहीं: