आप नेता की राज्यसभा उम्मीदवारी रद्द की जाए : माकन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 6 जनवरी 2018

आप नेता की राज्यसभा उम्मीदवारी रद्द की जाए : माकन

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नई दिल्ली, 6 जनवरी, कांग्रेस पार्टी ने लाभ के पद पर मौजूद दिल्ली से आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा उम्मीदवार एन. डी. गुप्ता की उम्मीदवारी रद्द करने की मांग की है। कांग्रेस के मुताबिक राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के न्यासी के रूप में वह लाभ के पद पर हैं। दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने एक ट्वीट में शनिवार को कहा, "कांग्रेस ने आप के राज्यसभा उम्मीदवार एन. डी. गुप्ता की उम्मीदवारी पर आपत्ति दाखिल की है।" माकन ने दिल्ली से राज्यसभा के लिए 16 जनवरी को होने वाले चुनाव के लिए नियुक्त निर्वाचन अधिकारी को भी अपना पत्र भेजा है। गुप्ता को भाजपा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) का समर्थक बताते हुए माकन ने कहा कि उन्हें 30 मार्च, 2015 को सरकार के स्वामित्व वाले 1.75 लाख करोड़ रुपये राष्ट्रीय पेंशन योजना ट्रस्ट का न्यासी नियुक्त किया गया था और "वह अभी भी लाभ के उस पद पर बने हुए हैं। वह उम्मीदवारी के लिए अयोग्य हैं।" आम आदमी पार्टी के तीन उम्म्मीदवारों ने गुरुवार को राज्यसभा चुनाव के लिए अपना नामांकन पत्र दाखिल किया, जिनमें पार्टी नेता संजय सिंह, व्यवसायी सुशील गुप्ता और चार्टर्ड अकांउटेंट एन. डी. गुप्ता शामिल हैं। माकन ने चुनाव अधिकारी को लिखे अपने पत्र में कहा, "संविधान के अनुच्छेद 36 के तहत जन प्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 36 के अनुसार लाभ का पद धारण करने के लिए नारायण दास गुप्ता की उम्मीदवारी रद्द होनी चाहिए।" अंशदायी पेंशन प्रणाली 22 दिसंबर, 2003 को शुरू की गई थी और एक जनवरी, 2004 से सरकारी कर्मचारियों के लिए इसे अनिवार्य किया गया। पेंशन योजना को न्यास में परिवर्तित कर दिया गया और तदनुसार भारतीय न्यास अधिनियम 1882 के तहत न्यास पत्र दिनांक 27 फरवरी, 2008 को अमल में लाया गया। इस प्रकार एनपीएस की ओर से महत्वपूर्ण सरकारी कार्य का संपादन किया जाता है, क्योंकि यह लाखों सरकारी कर्मचारियों की पेंशन का संरक्षक है। दूसरे शब्दों में यह वित्त मंत्रालय और पेंशन विभाग का ही विस्तार है। पूर्व केंद्रीय मंत्री माकन ने कहा कि न्यासी का पद वेतन, परिलब्लियां, अनुलाभ व सुविधाओं के लिए अधिकृत है। यह पद संसद (अयोग्यता निवारण) के अधिनियम 1959 के तहत संरक्षित नहीं है और संविधान के अनुच्छेद 102 को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करता है।

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