नयी दिल्ली, 28 फरवरी, ऐसा लगता है कि कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदबंरम को बेटे की गिरफ्तारी के बारे में पहले ही आभास हो गया था। यही वजह है कि अपने और अपने परिवार को ‘सतत् परेशान’ किये जाने की आशंका को लेकर उन्होंने उच्चतम न्यायालय में पहले ही याचिका दायर कर दी थी। चिदंबरम की याचिका शीर्ष अदालत में सुनवाई के लिये सूचीबद्ध होने से पहले ही केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने कार्ति चिदबंरम को लंदन से चैन्ने पहुंचने पर आज गिरफ्तार कर लिया। चिदबंरम, जो उच्चतम न्यायालय में अपने बेटे के मामले पर पैनी नजर रखे हुये हैं, ने पिछले सप्ताह ही अपने आप ही केन्द्रीय जांच ब्यूरो और प्रवर्तन निदेशालय पर राजनीतिक विद्वेष से उनके और उनके परिवार के खिलाफ कार्रवाई का आरोप लगाते हुये याचिका दायर करके आश्चर्यचकित कर दिया था। इस याचिका में चिदबंरम ने सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय को अपनी ‘‘गैरकानूनी जांच’’ और उन्हें तथा उनके बेटे सहित परिवार को बार बार परेशान करने से रोकने का निर्देश देने का न्यायालय से अनुरोध किया था। पेशे से वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता पी. चिदबंरम ने याचिका मे कहा है कि हालांकि सीबीआई ने आईएनएक्स मीडिया प्रकरण में 15 मई, 2017 को प्राथमिकी दर्ज की थी लेकिन जांच एजेन्सियों ने अभी तक यह निष्कर्ष निकालते हुये एक भी रिपोर्ट दाखिल नहीं की है कि क्या इस प्रकरण में कोई आपराधिक अपराध हुआ है या इस अपराध से किसी प्रकार का लाभ होने का मामला बना है।
जांच ब्यूरो ने इस प्राथमिकी में आरोप लगाया था कि 2007 में, जब चिदबंरम वित्त मंत्री थी, आईएनएक्स मीडिया को विदेश से 305 करोड़ रूपए प्राप्त करने की मंजूरी देने में विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड ने अनियमित्तायें की थीं। जांच ब्यूरो का आरोप है कि इस मामले में कार्ति को दस लाख रूपए मिले थे । प्रवर्तन निदेशालय ने इस प्रकरण में धन शोधन का मामला दर्ज किया है। चिदबंरम ने कहा है कि वित्त मंत्री होने के नाते उन्होंने आईएनएक्स मीडिया प्रकरण और एयरसेल-मैक्सिस प्रकरण मे ‘सामान्य सरकारी कामकाज के दौरान’ विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड की मंजूरी दी थी। अपने कार्यो का निर्वहन करने के दौरान उन्होंने कभी भी अपने परिवार के किसी सदस्य को या किसी अन्य व्यक्ति को सरकारी कामकाज को प्रभावित करने या उसमे हस्तक्षेप की अनुमति नहीं दी। चिदबंरम ने यह भी कहा है कि सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय उनके बेटे और दूसरों को, जिनका विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड की मंजूरी से कोई लेना देना नहीं है, बार बार समन भेजकर परेशान नहीं कर सकती है। याचिकाकर्ता चिदबंरम दुखी महसूस करते हैं कि उनके पुत्र और उसके कारोबारी मित्रों को निशाना बनाया जा रहा है और जांच ब्यूरो तथा प्रवर्तन निदेशालय की पूरी जांच दिखावा और यह जनता की नजरों में उन्हें और उनके पुत्र की छवि को धूमिल करने का प्रयास है।
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