‘पकौड़ा रोजगार’ को आईएलओ के मानकों में शामिल कराये सरकार : चिदंबरम - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

गुरुवार, 8 फ़रवरी 2018

‘पकौड़ा रोजगार’ को आईएलओ के मानकों में शामिल कराये सरकार : चिदंबरम

govt-should-include-pakoda-rojgar-in-ilo-standards
नयी दिल्ली 08 फरवरी, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के हर वर्ष दो करोड़ रोजगार उपलब्ध कराने के वादे पर तंज कसते हुए आज कहा कि अब सरकार को ‘पकौड़ा रोजगार’ को भी अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) के रोजगार मानकों में शामिल करने की सिफारिश करनी चाहिए।  सत्तारूढ भाजपा के सदस्यों के भारी हंगामे के बीच श्री चिदंबरम ने राज्यसभा में 2018- 19 के आम बजट पर चर्चा की शुरूआत करते हुये कहा कि वह बजट को लेकर वित्त मंत्री से 12 सवाल पूछ रहे हैं। उन्होंने मोदी सरकार पर वित्तीय अनुशासन का उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुये कहा कि चालू वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की तुलना में 3.2 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य था लेकिन इस वर्ष इसके बढ़कर 3.5 प्रतिशत पर पहुंचने की बात कही जा रही है। इसी तरह से अगले वित्त वर्ष में इसको 3.0 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन अब सरकार इसको 3.3 प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य तय किया है। कांग्रेस सदस्य ने कहा कि राजकोषीय घाटे के साथ ही चालू खाता घाटा भी बढ़ा है। दिसंबर में थाेक मूल्य सूचकांक आधारित महंगाई 3.7 प्रतिशत रही और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा महंगाई 5.2 प्रतिशत पर रही है लेकिन बजट में महंगाई को लेकर कुछ नहीं कहा गया है। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक ने कल जारी मौद्रिक एवं ऋण नीति में अगले वित्त वर्ष की पहली छमाही में महंगाई के 5.6 प्रतिशत के आसपास रहने का अनुमान लगाया है। उन्होंने कहा कि वित्तीय अनुशासन का पालन नहीं किये जाने की वजह से सरकारी बौंड प ब्याज में बढोतरी हुयी है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतों के वर्ष 2014 में गिरकर 40 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आने को सरकार के लिए बरदान बताते हुये कहा कि आठ जुलाई 2008 को यह 147 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गयी थी। उन्होंने कहा कि सरकार को सीमा शुल्क कम कर तेल की कीमतों को कम करने पर ध्यान देना चाहिए।

कोई टिप्पणी नहीं: