पटना 12 फरवरी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दीक्षांत समारोह में पहने जाने वाले लिबास की परंपरा को बदलने पर जोर देते हुये आज कहा कि इसे अंग्रेजों ने शुरू किया था और अब इनमें बदलाव किये जाने की जरूरत है। श्री कुमार ने यहां इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आईजीआईएमएस) के चौथे वार्षिक दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुये कहा, “दीक्षांत समारोह में पहले से चली आ रही लिबास पहनने की परम्परा में बदलाव लाने की जरूरत है। यह अंग्रेजों की देन है और अब इसमें बदलाव करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के गए 70 साल हो गये, अब इस लिबास की कोई जरूरत नहीं है और न ही इसका कोई मतलब है।” मुख्यमंत्री ने कहा कि इस लिबास की सफाई नहीं होने के कारण चिकित्सीय दृष्टि से भी यह उचित नहीं है और न ही यह आरामदेह है इसलिए इसकी जगह दीक्षांत समारोह लिखे हुये स्कार्फ पहनने की अनुमति दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि समारोह में मनुष्य को आनंदित होना चाहिए जबकि इस लिबास में अनकम्फर्ट फील होता है।
श्री कुमार ने कहा कि पहले जहां प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में एक महीने में औसतन 39 मरीज आते थे वहीं इलाज की व्यवस्था और सुविधा का पुख्ता प्रबंध होने के बाद अब उनकी संख्या दस हजार से ज्यादा हो गयी है। उन्होंने कहा कि पहले सरकारी अस्पतालों में बेड खाली रहता था लेकिन मरीजों की स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता बढ़ने, बेहतर चिकित्सा और सुविधा मुहैया होने के बाद अब बेड खाली नहीं रह रहा है। मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय की सक्रियता और उनके कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल (पीएमसीएच) को विश्वस्तरीय जबकि नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल (एनएमसीएच) को 2500 बेड का हॉस्पिटल बनाने का हमारा लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि अगस्त 2006 में तत्कालीन उप राष्ट्रपति भैरो सिंह शेखावत से सरकारी अस्पतालों में मुफ्त दवा मुहैया कराने की शुरुआत करवाई और हर स्तर पर सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केन्द्रों में 24 घंटे सातों दिन इलाज की व्यवस्था सुनिश्चित कराई। इसके बाद सरकारी अस्पतालों के प्रति लोगों का भरोसा बढ़ा। श्री कुमार ने कहा कि आईजीआईएमएस का इंतजाम काफी अच्छा है, जहां 175 के करीब फैकल्टी हैं। इस संस्थान में 100 एमबीबीएस की सीट है और सरकार की इच्छा है कि इसे बढ़ाकर 250 किया जाये। उन्होंने कहा कि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) पटना से इस संस्थान की चिकित्सा गुणवत्ता को लेकर प्रतिस्र्पद्धा होनी चाहिए कि कौन बेहतर है। पहले लोग इलाज कराने के लिए बाहर जाने को विवश थे लेकिन अब ऐसी स्थिति नहीं है। स्वेच्छा और सुविधा के ख्याल से यदि कोई बाहर इलाज कराने के लिए जाना चाहता है तो वह स्वतंत्र है। उन्होंने कहा की इस संस्थान का विस्तार हो रहा है और अब कई बीमारियों का यहां इलाज भी हो रहा है लेकिन लीवर ट्रांसप्लांट की सुविधा में देरी हो रही है, इस दिशा में तेजी से काम करने की आवश्यकता है।
मुख्यमंत्री ने उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेज में नर्सिंग कॉलेज की स्थापना के साथ हर जिले में जीएनएम और पारा मेडिकल संस्थान और प्रत्येक अनुमंडल में एएनएम स्कूल की स्थापना की जा रही है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में 3400 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया गया है इसलिए पैसे की कोई कमी नहीं है और स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करना हमारा संकल्प है। उन्होंने दीक्षांत समारोह में पदक और उपाधि हासिल करने वाले छात्रों से अपील करते हुए कहा कि लोग भगवान के बाद डॉक्टर को ही दूसरा भगवान मानते हैं इसलिए पैसे के पीछे न भागकर मन में सेवा का भाव रखें। उन्होंने कहा कि इस भावना से जो काम करेगा उसकी प्रतिष्ठा काफी बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि कफन में जेब नहीं होता और न ही जरूरत से ज्यादा पैसा होने पर हम रोटी की बजाय सोना या हीरा खा सकते हैं। उन्होंने कहा कि पैसे कमाने पर उतना ही ध्यान होना चाहिए जिससे जरूरत की चीजें पूरी हो जाये। श्री कुमार ने कांग्रेस का नाम लिये बगैर कहा कि जो लोग पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को आदर्श मानते थे, उन्हीं के द्वारा इस संस्थान में उनकी छोटी मूर्ति लगाई गयी क्योंकि उन दिनों उन्हीं की सरकार थी। उसके बाद राज्य सरकार द्वारा भव्य और आकर्षक प्रतिमा यहां लगाई गयी। उन्होंने कहा कि पता नहीं किन कारणों से पहले काफी लोग इस संस्थान को छोडकर चले गए लेकिन कहीं न कहीं उपकरणों की खरीददारी में सतर्कता की जांच एक कारण रही होगी। उन्होंने संस्थान के निदेशक प्रो. डॉ. एन.आर. विश्वास की सराहना करते हुए कहा कि उनके नेतृत्व में यहां काफी अच्छा काम हो रहा है और बहुत तेजी से प्रगति भी हुई है। समारोह को उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी, स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय, आईजीआईएमएस के निदेशक प्रो. डाॅ. एन. आर. विश्वास ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर प्रधान सचिव स्वास्थ्य संजय कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव मनीष वर्मा, आरएमआरआई के निदेशक डाॅ. पी. के. दास, आईजीआईएमएस के पूर्व निदेशक ए. के. चैहान, डाॅ. दिलीप कुमार यादव, डाॅ. ए. के. लाल, सेवानिवृत्त न्यायाधीश धर्मपाल सिंह, आईजीआईएमएस के डीन डॉ. एस. के. शाही, डॉ. एस. एन. आर्या, डाॅ. ए. हई, डॉ. बसंत सिंह सहित कई प्रख्यात चिकित्सक एवं मेडिकल की उपाधि प्राप्त करने वाले छात्र-छात्रायें उपस्थित थीं।
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