बिहार उत्सव में कलाकारों ने लोकगीत, संगीत से बांधा समा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 26 मार्च 2018

बिहार उत्सव में कलाकारों ने लोकगीत, संगीत से बांधा समा

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नई दिल्ली 26 मार्च, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में चल रहे 15 दिवसीय बिहार उत्सव के दौरान आयोजित सांस्कृतिक संध्या में प्रदेश के मशहूर कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से लोगों का मन मोह लिया। बिहार के स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में यहां आईएनए इलाके में स्थित दिल्ली हाट में बिहार उत्सव चल रहा है। यह उत्सव 15 मार्च से आरंभ हुआ और बिहार के स्थापना दिवस 31 मार्च को इसका समापन होगा। उत्सव के दौरान तीन दिवसीय सांस्कृतिक उत्सव आयोजित किया गया, जिसका समापन रविवार को हुआ। इस मौके पर कजरी, झूमर और जट-जटीन आदि बिहार की लोक गीत-संगीत व नृत्य की प्रस्तुति से कलाकारों ने दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। आकाशवाणी की कलाकारा उषा सिंह, अमर आनंद, रंजीत कुमार, सत्येंद्र कुमार आदि की प्रस्तुति ने लोगों को मत्रमुंग्ध कर दिया। अमर आनंद एवं रंजीत कुमार ने बिहार के लोकगीत एवं संगीत से श्रोताओं का भरपूर मनोरंजन किया। अमर आनंद ने 'बोले पपीहा चहके चिरैया', 'गे माई चंद्रमुखी सन गौरी', 'अंगुरी में डसले बिया नगिनिया रे ए ननदी' समेत कई गीत पेश किए। वहीं उषा सिंह ने 'पनिया के जहाज से पलटनिया बनी अईह पिया', 'रेलीया बैरन पिया को लिए जाय रे', 'नजरा गईल गोइया', 'सैंया मिले लड़कैया मैं का करूं' आदि गीत गाए। बिहार उत्सव में यहां अनेक आकर्षक व कलात्मक वस्तुओं की प्रदर्शनी लगाई गई है, जिनके लिए बिहार दुनियाभर में चर्चित है। मसलन, भागलपुरी सिल्क और मधुबनी पेंटिंग पूरी दुनिया में मशहूर हैं। दिल्ली हाट में सिकी के उत्पाद, लकड़ी की मूर्ति और जूट के बने सामान समेत विभिन्न वस्तुओं के कुल 118 आकर्षक स्टाल्स लगाए गए हैं।

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