भारत सबसे खुली अर्थव्यवस्थाओं में से एक : सुरेश प्रभु - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

शुक्रवार, 2 मार्च 2018

भारत सबसे खुली अर्थव्यवस्थाओं में से एक : सुरेश प्रभु

india-open-economy-suresh-prabhu
सिंगापुर, दो मार्च, भारत एक "बहुत खुली अर्थव्यवस्था" है और सभी देशों के साथ बेहतर व्यापारिक संबंध और समझौते चाहता है। केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने आज यहां क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक सहयोग (आरसीईपी) की बैठक से पहले व्यावसायिक समुदाय को संबोधित करते हुये यह बात कही। प्रभु ने अधिक गतिशील वैश्विक व्यापारिक प्रणाली की वकालत करते हुए कहा कि भारत एक वृहद मुक्त व्यापार समझौते- आरसीईपी के मुद्दे पर दस सदस्यीय दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के संघ (आसियान) के साथ मिलकर काम कर रहा है। प्रभु ने भारत के आर्थिक सुधार और वैश्विक एकीकरण शीर्षक से आयोजित एक व्याख्यान में कहा, "भारत एक बहुत ही खुली अर्थव्यवस्था है। हम व्यापारिक संबंधों और व्यापारिक समझौतों को यथासंभंव निरंतर बनाये रखना चाहते हैं, खासकर आसियान देशों के साथ, जिनके साथ हमारा पहले से करार है।" उन्होंने कहा कि रक्षा सहित सभी क्षेत्रों में उदार प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था "सबसे खुली अर्थव्यवस्थाओं" में से एक है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हम आरसीईपी पर आसियन और अन्य पड़ोसी देशों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। जिसके लिये मैं यहां पहुंचा हूं। हमारा विचार है कि कई देशों का लाभ और अपना लाभ सुनिश्चित करने के लिये जितना संभंव हो द्विपक्षीय और बहुपक्षीय समझौतों में शामिल हों। उन्होंने कहा कि यह द्विपक्षीय और बहुपक्षीय समझौते "बहुत मुश्किल बातचीत" वाले हैं लेकिन भारत हमेशा इसमें शामिल होने के लिये तैयार है और यह सकरात्मक कदम है। प्रभु ने कहा कि "बहुपक्षीय समझौते को लेकर, हम बहुत उत्सुक हैं कि हमारे पास एक वैश्विक व्यापार प्रणाली होगी जो कि अधिक गतिशील होगी।" आरसीईपी के मंत्री इस समय सिंगापुर में हैं जहां वह आपसी बैठक करेंगे। आरसीईपी में क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण पर जोर दिया जा रहा है। यह दुनिया में सबसे बड़ा क्षेत्रीय गुट होगा। वर्तमान में इसके तहत आसियन के दस सदस्य देशों-- ब्रुनेई, दारुसलाम, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमा, फिलीपींस, सिंगापुर, थाइलैंड, वियतनाम-- के अलावा आस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, दक्षिण कोरिया और न्यूजीलैंड के बीच बातचीत चल रही है।

कोई टिप्पणी नहीं: