अपने इतिहास से सीखने को तैयार नहीं है मिथिला के लोग : पुष्यमित्र - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

बुधवार, 28 मार्च 2018

अपने इतिहास से सीखने को तैयार नहीं है मिथिला के लोग : पुष्यमित्र

mithila-never-learn-from-their-history-pushy-mitr
मधुबनी । मिथिला के लोग अपने इतिहास से सीखने को तैयार नहीं है। इतिहास पर बात होनी चाहिए। बातें हो भी रही है, लेकिन क्या मिथिला के लोग इतिहास को जानने, सुनने या उससे सीखने को तैयार है। यह बात आज जेएन कॉलेज में क्लब मधुबनी की ओर से आयोजित संगोष्ठि में प्रसिद्ध शोधकर्ता व पत्रकार पुष्यमित्र ने कही। रेडियो कोसी व नील आंदोलन पर किताब लिख चुके पुष्यमित्र ने कहा कि कहने और दिखाने को यहां बहुत कुछ है, लेकिन किसे सुनाया जाये। लोगों में इन धरोहरों के प्रति लगाव को अभाव है। लोग इतिहास सुनना और देखना नहीं चाहते हैं। जब तक लोग नहीं बदलेंगे तब तक हमारे कुछ भी कहने लिखने या दिखाने का कोई मतलब नहीं है। इस इलाके में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं, लेकिन जब तक यहां के लोग सुनने को तैयार नहीं होंगे, तब तक इन सब बातों पर चर्चा करने से कोई सकारात्मक नतीजे बाहर नहीं आयेंगे।

कोई टिप्पणी नहीं: