नालंदा.सिस्टम को दुरूस्त करने की जरूरत है.ऐसा नहीं करने से खटिया पर रोगी को लाना ही पड़ेगा.जिस प्रकार खटिया पर सुषमा देवी को लाया गया.यह यक्ष सवाल है कि कबतक साधन बिन महिला तड़पती रहेगी? बिंद प्रखंड के नौरंगा गांव.इस गांव में रहते हैं शिवचरण पासवान.उनकी धर्मपत्नी है सुषमा देवी.दोनों को संतान है.तीसरा गर्भधारण है.जब प्रसव पीड़ा तेज हुई तो आशा दीदी को बुलाया गया.आशा दीदी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में मोबाइल से एम्बुलेंस भेजने का आग्रह किया .जब प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र से एम्बुलेंस शिवचरण पासवान के घर नौरंगा की और नहीं आयी तो सुषमा देवी के परिजनों को चिंता सताने लगी. गांव के लोगों के सहयोग से गर्भवती सुषमा को खटिया पर लिटा दिया गया. तब के साधनहीन बिहार की तरह अब के साधनपूर्ण बिहार में दुरूस्त व्यवस्था नहीं रहने के कारण खटिया पर गर्भवती को खटिया पर लांधकर हॉस्पिटल पहुंचायी जाती है. श्री पासवान कहते हैं घर से वेनार-सकसोहरा मेनरोड की दूरी 3 किलोमीटर है. इसको तय करके वेनार-सकसोहरा रोड पर हैं.उक्त से आने वाले एम्बुलेंस का इंतजार कर रहे हैं.इस तरह स्वास्थ्य विभाग की पोल खुल गयी. इस बीच सुषमा देवी प्रसव पीड़ा से सुषमा बेहाल है. मैन रोड पर सुषमा देवी की हालात व कहराते देख गृह प्रसव को उत्तम महिलाएं सोचती हैं.वहीं मातृ-शिशु अनुदान पाने की चाहत में हॉस्पिटल की ओर रूख करते हैं. मौके पर उपस्थित आशा दीदी कहती हैं कि हमलोगों की देखरेख में 9 माह गर्भवती रहती हैं.ऐसा लोगों को सुरक्षित प्रसव कराना कर्तव्य है.एम्बुलेंस को कॉल किया गया.
गुरुवार, 1 मार्च 2018
बिहार : स्वास्थ्य विभाग की खुली पोल
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