बिहार : इस अंधेरी रात की सुबह कब होगी? - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 28 मार्च 2018

बिहार : इस अंधेरी रात की सुबह कब होगी?

  • चार पीढ़ी से लोग रहते हैं एक भी लड़की मैट्रिक उर्तीण नहीं

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शेखपुरा.इस जिले में है बरबीघा प्रखंड.इसमें है तेयुस ग्राम पंचायत.इस पंचायत में है जयती ग्राम.यहां पर महादलित मुसहर समुदाय के लोग रहते है. चार पीढ़ी से रहने वाले 175 घरों में रहते हैं. 11 लड़के मैट्रिक उर्तीण हैं.एक भी लड़की मैट्रिक उर्तीण नहीं हैं.यहां के सरकारी शिक्षक बिदेश्वरी मांझी और गर्भ्भी देवी के 5 संतान हैं.4 लड़का व 1लड़की हैं.दोनों दम्पति के पुत्र चंदन कुमार कीर्तिमान स्थापित कर दिया.अव्वल 2016 बी.ए.पास कर गया.इसके पीछे रिकॉडधारी के अनुज राहुल कुमार हैं जो 2017 में बी.ए.पास किया.इस तरह यहां केवल 2 ग्रेजुएट है.जो बेगारी का दंश झेल रहे हैं. कल्याणकारी राज्य में जितना विकास होना था उतना विकास नहीं हुआ है.इसके आलोक में महादलित बंधुआ मजदूर बनने को बाध्य हैं. 2 तो काशी विगहा में और 90 प्रतिशत मुसहर हरियाणा, पंजाब, त्रिपुरा, कानपुर आदि जगहों के ईट भट्टों  में बंधुआ मजदूर बनकर रह गये हैं. रिकॉड बनाने वाले चंदन कुमार की सीता देवी से हुई है.दोनों के 3 लड़के हैं. चंदन ने कहा कि बिहार में रोजगार की संभावना नदारद है.इसके आलोक में सूबें में जोरों से पलायन जारी है. टोला-टोला से पलायन जारी है.हमारे जयंती ग्राम से 90 प्रतिशत लोग पलायन कर लिये हैं.हमारे होम प्लेस में विरानगी है. 

बी.ए.तक पढ़े- लिखे चंदन कुमार कहते हैं कि बगल में काशी विगहा है.यहां के भूमिहारों के पास 2 मुसहर बंधुआ मजदूर हैं.एक का बनारसी मांझी है.दूसरी की पत्नी का नाम रामदाय देवी है. मालिकों ने 15 कट्टा खेत दिये हैं.काम करने पर 5 सेर कच्चा चावल/गेहूं दिया जाता है. वहीं 90 प्रतिशत लोग पलायन कर जाते हैं. दलाल सब्ज बाग दिखाते हैं.बेहतर आवास व स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध है.15 दिनों में खुराकी के नाम पर मोटी रकम दी जाती है.आगे कहा कि 30 प्रतिशत लोगों को इंदिरा आवास योजना से मकान बना है.इनको 1.20 लाख रू.मिलता है.हर किस्तवार चरण में दलाल  7 रू.ऐंठ लेता है.करीब 25  हजार रू.चटनी की तरह दलाल चाट लेते हैं.इसके कारण मकान अधूरा रह जाता है. जो दलाल महादलितों को पलायन के एवज में मोटी रकम देते हैं. इस रकम से महादलित अधूरे मकान को पूर्ण करते हैं.यह सिलसिला जारी रहता है.

यहां के महादलित अक्टूबर से जुलाई माह तक ईंट भट्टों पर कार्य करते हैं. वहां पर बच्चे भी जाते हैं.जो शिक्षा से वंचित हो जाते हैं.हालांकि लोकल प्रशासन का प्रयास होता है कि बच्चों को शिक्षा से जोड़ा जाये.पर ऐसा नहीं होता है.भट्टा पर बाल मजदूर बनकर रह जाते हैं.इस समुदाय के बच्चों का भविष्य चौपट होती जा रही है. इनको महात्मा गांधी नरेगा भी रोकने में नाकामयाब है.  यहां पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का सात निश्चय को धरती पर उतारने का काम नहीं किया गया है.बावजूद, इसके परिसम्पति में आंगनबाड़ी केंद्र,उप स्वास्थ्य केंद्र,प्राथमिक विघालय,पंचायत भवन अवस्थित है.ग्रामीणों का कहना है कि  उप स्वास्थ्य केंद्र में ताला लटका रहता है.पड़ोसी नालंदा जिले के बिंद प्रखंड के लोदीपुर पंचायत में एएनएम दीदी रहती हैं और केंद्र में आती नहीं हैं.जयंती ग्राम में प्राथमिक विघालय है.काशी विगहा में उत्क्रमिक विघालय है.तेयुस में श्रीकृष्ण मोहन  10 +2 उच्च विघालय है.बिहार शरीफ में कॉलेज है.इस तरह की सुविधाओं से महादलित समुदाय के बच्चे फायदा नहीं उठा पाते हैं.बकरी,गाय व भैंस पालने में लगे रहते हैं. महादलितों में बुने मांझी ने बरबीघा प्रखंड के बीडीओ से आग्रह किये हैं सामुदायिक भवन और चबूतरा निर्माण हो.वार्ड न.की वार्ड सदस्या सरस्वती देवी से आग्रह किये हैं कि हमलोगों का पैरोकार बनें.

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