दरभंगा : बाबा साहेब ने जागरण का फूंका था मंत्र : कुलपति - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 15 अप्रैल 2018

दरभंगा : बाबा साहेब ने जागरण का फूंका था मंत्र : कुलपति

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दरभंगा (आर्यावर्त डेस्क) 14 अप्रैल : ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के जुबली हॉल में आयोजित भारतरत्न डॉ. भीमराव अंबेदकर की 127वीं जयंती की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. सुरेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि विचारों को आत्मसात करके ही बाबा साहेब के विचारों से फायदा उठाया जा सकता है. समानता, स्वतंत्रता तभी फलीभूत होगी जब विकास की किरण समाज के निचले तबके तक आएगी. उन्होंने कहा कि बाबा साहेब अम्बेदकर ने जागरण का मंत्र फूंका था, जो समानता के लिए आवश्यक है. समारोह के मुख्य अतिथि ए.एन. सिन्हा सामाजिक अध्ययन संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ. डी.एम. दिवाकर ने कहा कि आज के दौर में बाबा साहेब अम्बेदकर सबसे अधिक प्रासंगिक हो गए हैं. उन्होंने 1927 में ही छोटे जात की समस्या उठाई थी, जो आज विकराल रूप में उपस्थित है. अम्बेदकर ने शिक्षा, संगठन और संघर्ष की वकालत की थी. जिसकी प्रासंगिकता आज सबसे अधिक है. अब रोजगारी का आंकड़ा पाने के लिए भी संघर्ष करना पड़ेगा, क्योंकि सरकार अब बेरोजगारों के सर्वेक्षण का काम बंद कर चुकी है. एक ओर अट्टालिका की ऊंचाइयां हैं, तो दूसरी तरफ किसानों, मजदूरों की कठिन जीवन-स्थितियां. इसलिए अम्बेदकर के विचारों की प्रासंगिकता बेहद अहम है. डॉ. दिवाकर ने जोर देकर कहा कि अम्बेदकर विचारों से गहरे स्तरों पर लोकतांत्रिक थे. उन्होंने संघात्मक राष्ट्र की बात की. एकात्मक राष्ट्र के सिद्धांत का खंडन किया. समारोह के विशिष्ट अतिथि डॉ. कर्मानंद आर्य ने कहा कि यह समय विरुद्धों का समय है. जिसमें डॉ. अम्बेदकर की प्रासंगिकता सर्वाधिक है. अम्बेदकर को केवल दलितों का मसीहा मानना गलत है. वस्तुत: वे राष्ट्र-नेता और पीड़ित मानवता के महानायक थे. समता, न्याय और बंधुता के विचार से ही अम्बेदकर के सपनों का भारत बन सकता है. वे समता को मूल्य के रूप में देखते थे और उसमें शिक्षा की स्थिति की महत्ता को प्रकट करते थे. इस अवसर पर आधुनिक भारत के निर्माण में डॉ. अम्बेदकर के विचारों की प्रासंगिकता विषयक निबंध प्रतियोगिता के विजेताओं को सम्मानित भी किया गया. शोधप्रज्ञ संवर्ग में उमेश कुमार शर्मा ने प्रथम, शंकर कुमार एवं ज्वाला चंद्र चौधरी ने द्वितीय तथा प्रियंका कुमारी ने तृतीय स्थान प्राप्त किया. स्नातकोत्तर संवर्ग में सियाराम मुखिया ने प्रथम, विमल कुमार महतो ने द्वितीय तथा नाहिद परवीन ने तृतीय स्थान प्राप्त किया. विजेताओं में उमेश कुमार शर्मा, शंकर कुमार एवं ज्वालाचंद्र चौधरी ने मंच से बाबा साहेब की प्रासंगिकता पर प्रकाश भी डाला. विषय-प्रवेश सीसीडीसी डॉ. मुनेश्वर यादव ने किया. प्रतिकुलपति डॉ. जय गोपाल ने निबंध प्रतियोगिता के विजेताओं को पुरस्कृत किया. इस बार के कार्यक्रम की खासियत रही कि छात्र-छात्राओं को मंच दिया गया. संगीत एवं नाट्य विभाग के छात्र-छात्राओं ने गीत- संगीत का रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किया. कुलसचिव मुस्तफा कमाल अंसारी ने आगत अतिथियों का स्वागत किया तथा डॉ. सुरेंद्र प्रसाद सुमन ने कार्यक्रम का संचालन किया. बाबा साहेब की प्रतिमा पर पुष्पांजलि एवं कुलगीत से कार्यक्रम का शुभारंभ हुआ. मिथिला की परंपरा के अनुरूप मंचासीन मान्य विद्वानों का पाग, चादर और पुष्पगुच्छ से स्वागत किया गया. मुख्य समारोह के पूर्व कुलपति प्रो. सुरेंद्र कुमार सिंह, प्रतिकुलपति डॉ. जय गोपाल, कुलसचिव मुस्तफा कमाल अंसारी समेत तमाम अधिकारियों ने परिसर स्थित बाबा साहेब भीमराव अंबेदकर की प्रतिमा समेत तमाम प्रतिमाओं पर पुष्पांजलि अर्पित की. कार्यक्रम समन्वयक डॉ. विनोद बैठा और डॉ. आनंद प्रकाश गुप्ता के नेतृत्व में स्वयंसेवकों ने सफाई कार्यक्रम चलाया.

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