विशेष : हनुमत दरबार में बही सुरो की गंगा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 6 अप्रैल 2018

विशेष : हनुमत दरबार में बही सुरो की गंगा

संकटमोचन संगीत समारोह में रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आगाज हो चुका है। कार्यक्रम में राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय मंच को सुशोभित करने वाले प्रसिद्ध गायक एवं भजन सम्राट अनुप जलोटा ने अपनी जादुई आवाज में ऐसी तान बिखेरी कि लोग झूमने लगे। एक के बाद एक भजन सुनाकर उन्होंने सुधीय रसिकों को भक्ति संगीत में सराबोर कर दिया। भक्तिरस में पगे रसों में डूबकर रसिक मदहोश हो गए। तो काशी के युवा गायक पंडित गणोश प्रसाद मिश्र ने अपनी गायकी से महफिल में चार चांद लगा दिया। वहीं दिल्ली के धीरेंद्र तिवारी का कथक बेमिसाल रहा। कार्यक्रम समापन में लोक कोकिला पद्यमश्री मालिनी अवस्थी ने अपनी सुरों की ऐसी जादू बिखेरी कि श्रोता भक्ति की सागर में पूरे दिन डूबकियां लगाते रहे 
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जी हां, भक्ति और संस्कृति के प्रति आसक्ति जगाने के लिए देश-दुनिया में ख्यात संकट मोचन दरबार में छह दिवसीय संगीत समारोह का आगाज हो चुका है। समारोह में पूरी रात एक से एक ख्याति नाम कलाकारों ने अपनी हाजिरी लगाई। सुधि अंदाज में उनकी प्रस्तुति से सम्पूर्ण वातावरण में भक्ति की गरमाहट दौड़ गई। श्रोताओं पर उनका ऐसा जादू चला कि रात के आठ बजे से शुरु कार्यक्रम सुबह कब हो गई पता नहीं चला। संगीत समारोह के 88 वें संस्करण की पहली प्रस्तुति में कामाख्या पीठ के कलाकारों ने सोनल मानसिंह के निर्देशन में भगवान शिव के गरल पान की कथा को भावाभिव्यक्ति दी। दूसरे चरण में नागनथैया के प्रसंग को नृत्य में अभिव्यक्ति दी गई। इन दो चरणों के बाद सोनल मानसिंह मंच पर आसीन हुईं। उन्होंने हनुमानाष्टकम पर नृत्य से संकटमोचन को भाव-पुष्प अर्पित किया। शिव पुराण की कथा के समुद्र मंथन प्रसंग में देवाधिदेव महादेव का नीलकंठ स्वरूप सजाया और अनूठे उत्सव का श्रीगणोश किया। इस प्रस्तुति में ओडिसी का पारंपरिक स्वरूप तो दिखा ही, उसे आकर्षक प्रभावी बनाने के लिए कई नवीन विधाओं का समावेश भी किया गया। सोनल मानसिंह और उनके शिष्यों की विविधतापूर्ण प्रस्तुति से दर्शक खूब आनंदित हुए। पीएम की स्वच्छता दूत सोनल मान सिंह ने कालिय दमन की झांकी सजा कर नदियों की निर्मलता के साथ ही स्वच्छ भारत का संदेश दिया। ‘को नहि जानत है जग में कपि संकट मोचन नाम तिहारो..’ पर भाव नृत्य किया। अपनी संस्था कामाख्या कला पीठ के बैनर तले प्रस्तुति दी। 

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इसके बाद पद्मश्री अनूप जलोटा ने मंच संभाला और अपने चिरपरिचित भजन ‘ऐसी लागी लगन..’ से निहाल कर डाला। ‘अच्युतम केशवं राम नारायणम..’ से भक्ति रस बरसाया। ‘मेरे मन में राम, तन में राम, रोम रोम में राम..’ और ‘श्याम तेरी वंशी पुकारे राधा नाम..’ आदि भजनों से हनुमत दरबार को अयोध्या तो वृंदावन की तरह भी सजाया। बीच-बीच में अपने साथी संगतकारों के साथ हंसी-ठिठोली कर श्रोताओं को खूब गुदगुदाया। ऐसी लागी लगन मीरा हो गई मगन-भजन से भजनों की दुनिया में अपनी बादशाहत कायम करने वाले अनूप जलोटा का श्रोताओं पर ऐसा जादू चला कि रात के डेढ़ घंटे कब बीत गए पता नहीं चला। इससे पहले सिर्फ काशी घूमने आए ख्यात पाश्र्व गायक सोनू निगम ने भी प्रभु चरणों में हाजिरी लगाई। दर्शन पूजन के बाद मंच पर जाने का लोभ संवरण नहीं कर सके। सोनल मानसिंह की प्रस्तुति के उपरांत मंदिर के महंत प्रो. विश्वंभरनाथ मिश्र ने अनूप जलोटा और सोनू निगम का एक साथ मंच पर सम्मान किया। इस अवसर पर सोनू निगम श्रोताओं से रूबरू हुए। उन्होंने कहा कि यह मंच जिस स्तर के कलाकारों का है, मैं उनके जैसा बिल्कुल नहीं हूं। मेरी औकात नहीं है कि मैं इस मंच पर कुछ गा सकूं। मगर संकटमोचन भगवान की इच्छा हुई है, मैं यहां तक आ गया हूं तो आप श्रोताओं से अनुरोध करता हूं कि आप तालियां बजाएं और मैं एक दो पंक्ति आपकी तालियों की थाप पर गुनगुना दूंगा। इसके बाद श्रोताओं ने ताली देनी शुरू की और सोनू निगम ने गाना शुरू किया-हर घड़ी बदल रही है रूप जिंदगी, हर पल यहां, जी भर जियो। चंद पंक्तियां गुनगुनाने के बाद जब वह मंच से जाने लगे तो मंदिर के महंत प्रो. विश्वंभरनाथ मिश्र ने उनसे यह वचन लिया कि अगले वर्ष वह संगीत समारोह में एक दिन के लिए अवश्य आएंगे।

दूसरी प्रस्तुति के रूप में दिल्ली घराने के कलाकार धीरेंद्र तिवारी का चैंकाने वाला प्रयोग ध्रुपद अंग की गायकी पर कथक नृत्य की प्रस्तुति थी। दिल्ली घराने की बारीकियों के तहत उठान परन, तिहाई, टुकड़ा और रेला की प्रस्तुति की। फिर उन्होंने जयपुर घराने के कथक की बारीकियों के साथ पखावज अंग की परनों को बखूबी प्रदर्शित किया। भजन-परम कृपा स्वरूप- में भगवान राम द्वारा भक्तों पर की गई कृपा का प्रदर्शन किया। भजन-‘परम कृपा स्वरूप..’ में भक्तों पर प्रभु श्रीराम की कृपा का प्रदर्शन किया। द्रुत तीन ताल में प्रस्तुति से विराम दिया। तीसरी प्रस्तुति में काशी के युवा गायक पंडित गणेश मिश्र ने राग जोग में आलापचारी के साथ गायन की शुरुआत के बाद उन्होंने ठुमरी- राजा जी हमरो घूंघट पट खोलो सुनाकर भाव विभोर कर दिया। गणेश मिश्र ने अपने पिता पंडित महादेव मिश्र का प्रिय दादरा-डगर बिच कैसे चलूं मैं, रोके कन्हैया सुनाकर समां बांध दिया। इसके अलावा देर रात में ख्यात वायलिन वादक डा. सुब्रमणियम, बांसुरी वादक पं. रोनू मजूमदार, गायक पं. रतन मोहन शर्मा ने अपनी प्रस्तुति दी। और जब अंत में मालिनी अवस्थी की बारी आई तो मंच पर उनके कदम पड़ते ही श्रोताओं की तालियों से माहौल गड़गड़ा उठा है। वहां मौजूद प्रशंसकों की तालियां तभी थमी जब उन्होंने उनकी फरमाइस पूरी की। संकटमोचन मंदिर परिसर में संगीत समारोह के मौके पर कला दीर्घा सजाई गई। इसमें हनुमत प्रभु के साथ ही महादेव के विभिन्न स्वरूपों की झांकी सजाई गई। इसका ख्यात पाश्र्व गायक सोनू निगम ने उद्घाटन किया। कलाकारों की तैयार की गई कृतियों पर आधारित यह दीर्घा भगवान हनुमान जी को समर्पित है। दीर्घा में भगवान हनुमान के सामाजिक सरोकारों से जुड़ी मुद्राओं को देखते हुए रह-रहकर उनके मुंह से वाह-वाह निकल रहा था। 

कला दीर्घा में डेढ़ सौ से अधिक कृतियां प्रदर्शित की गई हैं। इस दीर्घा में सजे चित्रों को बनाने वाले कलाकारों में महिलाओं की संख्या सर्वाधिक है। कलाकार रुचिका मेहरोत्र को बीएचयू में कामर्शियल आर्ट में स्वर्ण पदक बनाने से अधिक खुशी हनुमान का चित्र बनाने में हुई। उन्होंने कहा कि हनुमान जी अपने आप में एक विशिष्ट चरित्र हैं। उनके चरित्र को रंगों में अभिव्यक्त करना किसी चुनौती से कम नहीं है। दिव्यांग चित्रकार पूनम राय यदुवंशी ने कहा कि हनुमान जी का चित्र तैयार करते समय मेरा मुख्य फोकस उनकी आंखों पर था। मेरी कोशिश थी कि मैं हनुमान की आंखों में वह श्रद्धा-भक्ति उभार सकूं जो भगवान राम के प्रति उनके हृदय में सदैव सदैव निवास करती है। संकटमोचन भगवान के चरणों में अपनी कला निवेदित करना मुझ जैसे छोटे कलाकार के लिए विशेष सौभाग्य की बात है। सामने घाट की मानती शर्मा ने कहा कि घर- बच्चों की जिम्मेदारी संभालते हुए 48 घंटे के अंदर यह चित्र बना पाना मेरे जैसे साधारण कलाकार के लिए संभव नहीं था पर हनुमान जी के आशीर्वाद से यह संभव हो गया। चितईपुर की युवा चित्रकार डॉ शारदा सिंह ने कहा कि इस वर्ष मैंने हनुमान जी के तपस्वी स्वरूप को अपने चित्र में उकेरा है। मैं विगत पांच वर्षों से लगातार इस कला दीर्घा का हिस्सा हूं। 

भजन सम्राट अनूप जलोटा का मानना है कि भारतीय संगीत की तुलना फिल्मी गानों से नहीं की जा सकती। यहां संगीतकार तपस्वी कहलाता है और वह अपनी संगीत तपस्या से ही दर्शनीय हो जाता है, जैसै पं. जसराज, भीमसेन जोशी, हरिप्रसाद चैरसिया, उस्ताद बिस्मिल्लाह खां, पं. रविशंकर। उन्होंने पीएम द्वारा शुरू स्वच्छ भारत मिशन का तात्पर्य बताया। कहा कि हम हर दृष्टि से स्वच्छ हों, चाहे शिक्षा हो, आसपास की स्वच्छता हो या ह्रदय की सफाई, यह सब स्वच्छ भारत मिशन का हिस्सा है। वे जल्द ही स्वच्छता से संबंधित गीत को स्वर देंगे जो एक-दो माह में रेडियो और टेलीविजन पर प्रसारित होगा। इस दौरान उन्होंने कहा कि जल्दी ही भजन गायकों का संकट दूर होगा। उन्होंने कहा कि वह कुछ कलाकारों को प्रशिक्षण दे रहे हैं। उनका प्रशिक्षण जल्द ही पूरा होने वाला है। कुछ ऐसे नए भजन गायक समाज के सामने आएंगे जो भजन गायकी की तस्वीर एक बार फिर बदल देंगे। भजन नए और पुराने नहीं हो सकते। भजनों को हमेशा भक्ति भाव से देखा जाता है। हर बार गायन के दौरान वे अपना प्रभाव छोड़ते हैं। 




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(सुरेश गांधी)

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