समाज को "समर" की नहीं, "समरसता" की जरूरत : राष्ट्रपति - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

रविवार, 15 अप्रैल 2018

समाज को "समर" की नहीं, "समरसता" की जरूरत : राष्ट्रपति

president-tribute-ambedkar
महू (मध्यप्रदेश), 14 अप्रैल, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद संविधान निर्माता डॉ. बीआर आम्बेडकर की जयंती पर आज उनकी जन्मस्थली पहुंचने वाले देश के पहले राष्ट्रपति बन गये। महू पहुंचने के बाद राष्ट्रपति ने नागरिकों को "विभाजनकारी ताकतों" के प्रति आगाह करते हुए ‘‘सामाजिक समसरता’’ पर जोर दिया और कहा कि भारतीय समाज को ‘‘समर की नहीं, बल्कि समरसता’’ की जरूरत है। राष्ट्रपति महू में प्रदेश सरकार द्वारा आयोजित 127 वीं आम्बेडकर जयंती समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित कर रहे थे। महू आम्बेडकर की जन्मस्थली है। कोविन्द ने कहा, "देश में मुझसे पहले 13 राष्ट्रपति हुए हैं। मुझे पता चला है कि मैं आम्बेडकर जयन्ती पर संविधान निर्माता की जन्मस्थली पहुँचने वाला पहला राष्ट्रपति हूँ।"  राष्ट्रपति ने महू के काली पल्टन इलाके में आम्बेडकर जन्मस्थली पर 10 साल पहले प्रदेश सरकार द्वारा बनाये गये स्मारक में संविधान निर्माता के सामने श्रद्धा से शीश नवाया। इसके साथ ही, दलित समुदाय के लोगों के साथ भोजन किया। उन्होंने देश भर से आये हजारों आम्बेडकर अनुयायियों की मौजूदगी में कहा, "मुझे राष्ट्रपति के रूप में उस संविधान की रक्षा का दायित्व मिला है, जिसके प्रमुख निर्माता बाबा साहेब आम्बेडकर थे। अगर मैं राष्ट्रपति बनने के बाद उनकी जन्मस्थली पर माथा नहीं टेकता, तो मुझे अपने अंतर्मन में ग्लानि होती।" 

राष्ट्रपति ने भारतीयता के सम्बंध में आम्बेडकर के विचारों का हवाला देते हुए कहा कि सभी नागरिकों को विभाजनकारी तत्वों की बातों पर ध्यान नहीं देते हुए देशहित को सबसे ऊपर रखना चाहिए और हमेशा खुद को केवल भारतीय मानना चाहिए। उन्होंने कहा, "समभाव यानी बराबरी के भाव और ममभाव यानी अपनेपन के भाव को जोड़ने से समरसता का भाव पैदा होता है। समाज को आज समर (युद्ध) की नहीं, बल्कि समरसता की जरूरत है... अहिंसा और शान्ति की जरूरत है।"  राष्ट्रपति ने कहा, "मैं सभी देशवासियों, विशेषकर युवाओं से अपील करता हूं कि वे आम्बेडकर के बताये शांति, सौहार्द और भाईचारे के रास्ते पर चलें और एकजुट होकर उनके सपनों का भारत बनाने का संकल्प लें।"  कोविन्द ने कहा, "आम्बेडकर ने संविधान सभा में दिये अपने अंतिम भाषण में कहा था कि अब हमारे पास विरोध व्यक्त करने के संवैधानिक तरीके मौजूद हैं। इसलिए हमें अराजकता से बचना चाहिए।"  उन्होंने कहा, "हमारा देश लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के आधार पर चलता है। आज जरूरत है कि लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं से गुजरते हुए हम अपनी सक्रिय भूमिका निभाएं और भले एवं बुरे की पहचान के प्रति हमेशा जागरूक रहें।"  कोविन्द ने देश के प्रति आम्बेडकर के महती योगदान को याद करते हुए कहा कि उन्होंने अनुसूचित जाति-जनजातियों, पिछड़ों, वंचितों, श्रमिकों और महिलाओं के हितों के लिए हमेशा अहिंसक संघर्ष किया। वह संवाद के जरिये विभिन्न विषयों पर सहमति बनाते थे।

राष्ट्रपति ने "जय भीम, जय हिंद" का नारा लगाते हुए कहा, "जय भीम का मतलब है - डॉ. आम्बेडकर की जय... उनकी विरासत, आदर्शों और उनके द्वारा देश को दिये गये संविधान की जय।"  राष्ट्रपति ने जोर देकर कहा कि आम्बेडकर के निर्मित संविधान से मिले अलग-अलग अधिकारों के कारण देश के सभी समुदायों के नागरिक गरिमापूर्ण जीवन जी सकते हैं। उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि आम्बेडकर ने रिजर्व बैंक की स्थापना और कुछ बड़ी सिंचाई तथा बिजली परियोजनाओं की शुरुआत में अहम भूमिका निभाते हुए आधुनिक भारत की नींव रखी। मध्यप्रदेश की राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल ने आम्बेडकर जयंती समारोह की अध्यक्षता की। इस सालाना कार्यक्रम में प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गेहलोत बतौर विशिष्ट अतिथि शामिल हुए।

कोई टिप्पणी नहीं: