लखनऊ, 25 मई, भारत में हर तीसरा शख्स थायराइड यानी गलग्रंथि से संबधित विकार से पीडित है। वजन में बढोत्तरी और हारमोंस में अंसतुलन के लिये थायराइड डिसआर्डर जिम्मेदार है। हालिया शोध के अनुसार देश में 40 प्रतिशत से अधिक लोग थायराइड से संबधित विकारो से ग्रसित है। उत्तर भारत में थायराइड डिसआर्डर का प्रकोप देश के अन्य क्षेत्रों के मुकाबले ज्यादा है। संजय गांधी स्नाताकोत्तर आर्युविज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) में इंडोक्राइनोलाजी विभाग के प्रो ज्ञानचंद ने यूनीवार्ता से कहा कि थायरायड ग्रंथि गर्दन में श्वास नली के ऊपर, वोकल कॉर्ड के दोनों ओर दो भागों में बनी होती है। ये तितली के आकार की होती है। थायराइड ग्रंथि थाइराक्सिन नामक हार्मोन बनाती है। इस हार्मोन से शरीर की एनर्जी, प्रोटीन उत्पादन एवं अन्य हार्मोन्स के प्रति होने वाली संवेदनशीलता कंट्रोल होती है। ये ग्रंथि शरीर में मेटाबॉलिज्म की ग्रंथियों को भी कंट्रोल करती है। यह मेटाबॉलिज्म, शरीर के वजन, ऊर्जा और भोजन के मेटॉबॉलिज्म को विनियमित करने के लिए आवश्यक हार्मोन जारी करता है। थायरॉइड विकार जैसे हाइपोथायरायडिज्म (अंडरएक्टिव थायरॉइड ग्रंथि) और हाइपरथायरायडिज्म (अति सक्रिय थायरॉइड ग्रंथि) स्वप्रतिरक्षी समस्याओं, हार्मोनल असंतुलन, तनाव, पारिवारिक इतिहास और बैक्टीरियल इनफ्लामेशन के कारण होता है। हालांकि, थायरॉइड विकारों को स्वस्थ रखा जा सकता है। हाइपोथायरायडिज्म की वजह से वजन बढ़ सकता है तो वहीं दूसरी ओर एक अति सक्रिय थायरॉइड ग्रंथि वजन घटाने का भी काम करती है। उन्होंने बताया कि यह दोनों स्थितियां स्वास्थ्य के लिए सही नहीं है। थायरॉइड विकार काफी आम हैं जिसकी संभावना हमारे जीवन में 30 प्रतिशत तक होती है। और इससे बचने का सबसे अच्छा तरीका, स्वस्थ थायरॉइड को बनाए रखना है।
प्रोफेसर ने बताया कि थायराइड विकास से ग्रसित लोगों को दिन भर थकान महसूस होती है। कुछ लोगों को सामान्य तापमान में भी ठंड महसूस हो सकती है। कब्ज की समस्या इस विकार के पीड़िताे के लिये आम हैे। त्वचा का पीला और सूखा हो जाना, सोने से उठने के बाद चेहरे पर सूजन आना, बालों का तेजी से झड़ने लगना, अचानक से बिना प्रयास वजन बढ़ने लगना, मांसपेशियों में दर्द की समस्या, जोड़ों में दर्द और सूजन की समस्या, पीरियड्स के दौरान ज्यादा मात्रा में खून निकलना,चीजों को जल्दी भूलना और डिप्रेशन की समस्या इस विकार के मुख्य लक्षणों में है। चिकित्सक ने कहा कि थायराइड कोई रोग नहीं बल्कि एक ग्रंथि का नाम है जिसकी वजह से ये रोग होता है। लेकिन आम भाषा में लोग इस समस्या को भी थायराइड ही कहते हैं। दरअसल थायराइड गर्दन के निचले हिस्से में पाई जाने वाली एक इंडोक्राइन ग्रंथि है। ये ग्रंथि एडमस एप्पल के ठीक नीचे होती है। थायराइड ग्रंथि का नियंत्रण पिट्यूटरी ग्लैंड से होता है जबकि पिट्यूटरी ग्लैंड को हाइपोथेलमस कंट्रोल करता है। थायराइड ग्रंथि का काम थायरॉक्सिन हार्मोन बनाकर खून तक पहुंचाना है जिससे शरीर का मेटाबॉलिज्म नियंत्रित रहे। ये ग्रंथि दो प्रकार के हार्मोन बनाती है। एक टी3 जिसे ट्राई-आयोडो-थायरोनिन कहते हैं और दूसरी टी4 जिसे थायरॉक्सिन कहते हैं। जब थायराइज से निकलने वाले ये दोनों हार्मोन असंतुलित होते हैं तो थायराइड की समस्या हो जाती है। उन्होने कहा कि किसी शारीरिक समस्या के लिए जब आप डॉक्टर के पास जाते हैं तो सबसे पहले वो इसके लक्षणों द्वारा रोग की पहचान करता है। अगर डॉक्टर को थायराइड की संभावना समझ आती है, तो वो खून में टी3, टी4 और टीएसएच हार्मोन की जांच करता है। इसके अलावा अल्ट्रासाउंड के द्वारा थायराइड और एंटी थायराइड टेस्ट होता है। असल में थायरायड ग्रंथि में कोई रोग या वायरस नहीं होता है। शरीर में जब पिट्युटरी ग्लैंड ठीक तरह से काम नहीं करता तो थायरायड स्टिमुलेटिंग हार्मोन (टीएसएच) यानि थायरायड ग्रंथि को उत्तेजित करने वाला हार्मोन ठीक तरह से नहीं बन पाता और इसकी वजह से थायराइड से बनने वाले टी3 और टी 4 हार्मोन्स में असंतुलन आ जाता है।
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