मुंबई , दो मई, मुंबई की विशेष मकोका अदालत ने वरिष्ठ पत्रकार ज्योतिर्मय डे के सनसनीखेज हत्याकांड में गैंगस्टर छोटा राजन और आठ अन्य को आज दोषी करार दिया। वहीं न्यायाधीश समीर अदकर ने हत्या के लिए राजन को उकसाने के आरोप से पूर्व पत्रकार जिग्ना वोरा को बरी कर दिया। न्यायाधीश ने पॉलसन जोसेफ को भी बरी कर दिया जिसपर साजिश से जुड़े वित्तीय लेन - देन का आरोप था। न्यायाधीश द्वारा बरी किए जाने के तुरंत बाद जिग्ना को अदालत में रोते हुए देखा गया। नयी दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद राजन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए इस कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा बना। न्यायाधीश द्वारा दोषी करार दिए जाने और पूछे जाने पर कि क्या वह कुछ कहना चाहता है के जवाब में उसने कहा ‘‘ ठीक है। ” इंडोनेशिया के बाली हवाईअड्डे से 2015 में गिरफ्तार किए जाने के बाद से यह पहला बड़ा आपराधिक मामला है जिसमें राजन को दोषी ठहराया गया। पिछले साल दिल्ली की एक अदालत ने राजन को फर्जी पासपोर्ट के एक मामले में दोषी करार दिया था और सात साल कैद की सजा सुनाई थी। न्यायाधीश अदकर इस मामले में सजा का ऐलान शाम तक कर सकते हैं। अभियोजन पक्ष ने यह कहते हुए मामले के दोषियों के लिए अधिकतम सजा की मांग की कि जे डे एक पत्रकार थे जो लोकतंत्र के चौथे स्तंभ का प्रतिनिधित्व करते थे। मोटरसाइकिल सवार दो व्यक्तियों ने 11 जून 2011 को पवई में 56 वर्षीय डे की गोली मार कर हत्या कर दी थी जब वह अपने घर लौट रहे थे। उस वक्त वह टैब्लॉयड ‘ मिड - डे ’ के लिए काम कर रहे थे।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक यह हत्या राजन के इशारे पर की गई थी जो कथित तौर पर उन नकारात्मक खबरों से ‘ नाखुश ’ था जिनके मुताबिक डे उसकी सेहत और अंडरवर्ल्ड में खत्म होती उसकी पैठ पर लिख रहे थे। इस मामले में राजन , गोली चलाने वाला सतीश जोसेफ उर्फ सतीश कालिया और वोरा समेत कुल 12 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। अभियुक्तों में से एक विनोद असरानी की 2015 में मुकदमे के दौरान ही लंबी बीमारी के चलते मौत हो गई थी। अभियोजन पक्ष के मुताबिक मुकदमे के दौरान जमानत पर बाहर रहीं जिग्ना वोरा इस घटना से पहले लगातार राजन के संपर्क में थीं। सीबीआई ने अपने आरोप - पत्र में दावा किया था कि वोरा ने डे की शिकायत राजन से की थी और उनकी हत्या करने के लिए उसे उकसाया था। आरोपियों के खिलाफ हत्या (302), आपराधिक साजिश (120 बी ) और साक्ष्य नष्ट करने (204) से जुड़ी भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं और मकोका व आर्म्स एक्ट की धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। दोषी ठहराए गए सभी नौ व्यक्तियों को मकोका और आईपीसी की धारा 302 के तहत सजा सुनाई जाएगी जिसमें अधिकतम सजा मौत की सजा है। साथ ही इन सभी को इस धारा के तहत जुर्माना भी देना होगा।
बचाव पक्ष के वकीलों ने दोषियों की उम्र , कुछ के छोटे बच्चे होने और कुछ के परिजन के बीमार होने का हवाला देते हुए उनके प्रति नरमी दिखाने की अपील की है। साथ ही उन्होंने तर्क दिया कि यह ‘दुर्लभतम में दुर्लभ’ अपराध की श्रेणी में नहीं आता। दुर्लभतम मामलों में धारा 302 के तहत मौत की सजा भी सुनाई जाती है। हालांकि अभियोजक प्रदीप घारात ने कहा कि मामला इस श्रेणी में आता है या नहीं लेकिन तथ्य यह है कि नौ लोगों को धारा 302 के तहत दोषी ठहराया गया है और उन्हें या तो मौत की सजा सुनाई जाएगी या उम्रकैद दी जाएगी। उन्होंने कहा कि अदालत को सजा सुनाते वक्त ध्यान में रखना चाहिए कि एक ‘‘ कड़ा संदेश ” दिए जाने की जरूरत है। साथ ही उन्होंने अपील की कि दोषियों पर लगने वाले जुर्माने का कुछ हिस्सा मदद के तौर पर डे की बहन को दिया जाए। राजन के अलावा इस मामले में दोषी ठहराए गए अन्य लोगों में सतीश कालिया , अनिल वाघमोडे , अभिजीत शिंदे , नीलेश शेंदगे , अरुण दाके , मंगेश अगवाणे , सचिन गायकवाड़ और दीपक सिसोदिया शामिल हैं।
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