- 15 राज्यों के 150 ग्रामीण मजदूरों के नेता बैठक में हिस्सा ले रहे हैं.
- मोदी सरकार का 4 साल गरीबों के लिए बोझ
पटना 28 मई 2018, अखिल भारतीय खेत एवं ग्रामीण मजदूर सभा(खेग्रामस) की राष्ट्रीय परिषद की बैठक पिछले दो दिनों से पटना के गेट पब्लिक लाइब्रेरी में चल रही है जिसमे 15 राज्यों के 150 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। ग्रामीण मजदूरों का सबसे बड़ा निबंधित संगठन खेग्रामस के नेताओं ने आज पटना में आयोजित सम्वाददाता सम्मेलन में कहा कि मोदी सरकार का 4 साल गरीबों के लिए बोझा साबित हुआ है। खेग्रामस नेताओं ने कहा कि नोटबंदी का सनकी भरा फैसला ने ग्रामीण रोजगार को चैपट किया है, लोक कल्याणकारी योजनाओं के मद में कटौती की है और दलित-आदिवासी-अक्लियतों पर हमला बढ़ाकर अम्बानी-अडाणी-वेदांता का कंपनी राज स्थापित कर दिया है। जल,जंगल और जमीन से गरीबों आदिवासियों की बेदखली बढ़ी है। शिक्षा-स्वास्थ्य का निजीकरण चिंता की बात है। स्मार्ट सिटी के नाम पर गरीबों के आवास के सवाल को दबाया जा रहा है। आरएसएस और बीजेपी मिलकर गरीबों की एकता तोड़ने में लगी है। खेग्रामस के राष्ट्रीय परिषद ने अपनी बैठक से तय किया है कि वह मोदी सरकार के खिलाफ गांव गरीबों की ओर से चार्जशीट जारी किया जायेगा। नेताओं ने कहा कि ग्रामीण इलाके में आशा, रसोईयों, आंगनबाड़ी सेविका-सहायिकाओं सहित अन्य कर्मियों को न्यूनतम मजदूरी आधारित मानदेय नही देना घोर अन्याय है। खेग्रामस इस मुद्दे को मजबूती से उठाएगा।नेताओं ने जोर देकर कहा कि बैंक को कारपोरेटों के हाथों लुटाया जारहा हैं, लुटेरों को भगाया जारहा है, वही जनधन खाता धारियों के साथ किये गए वादे से सरकार भाग रही है। आत्महत्या करते किसानों के कर्जमाफी को नकार कर सरकार लाखों करोड़ रूपये का कर्ज हर साल माफ कर रही है। उन्होंने कहा कि राज्य की ग्रामीण आबादी का तकरीबन 30 प्रतिशत दलित और भूमिहीन गरीब परिवार ऐसे हैं, जिनके पास वासभूमि का कोई कागजात नहीं है. वे रैयती, गैरमजरूआ, भूदान अथवा सरकारी जमीन पर बसे हैं. सड़कों और तटबंधों के किनारे लाखों परिवार बरसों-बरस से बसे हैं. 5 डिसमिल वासभूमि देने का कार्यक्रम कमोबेश ठप्प पड़ गए हैं, वहीं बिना वैकल्पिक व्यवस्था के हजारों-हजार परिवार को उजाड़ दिया गया है और लाखों परिवार को नोटिस थमा दिया गया है. संवाददाता सम्मेलन को धीरेन्द्र झा, रामेश्वर प्रसाद, सत्यदेव राम समेत गोपाल रविदास,बीरेंद्र गुप्ता, बंगा राव, गीता मंडल, जीरा भारती, तिरुपति गोमंगो, देवकीनंदन वेदिया, हरबिंदर, सजल अधिकारी, श्रीराम चैधरी आदि ने सम्बोधित किये।
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