- प्रथम परमप्रसाद ग्रहण करने वाले बच्चों के द्यरों में जश्न
- क्वीन ऑफ अपोस्तोलिक चर्च के मुख्य पुरोहित का स्थानांतरण पूर्व अंतिम बड़ा कार्यक्रम
पटना. आज रविवार है. ईसाई समुदाय पेंतेकोस्ट का पर्व मना रहे हैं. आज के ही दिन प्रभु येसु ख्रीस्त के शिष्य यहुदियों के भय से द्यर में छुपकर बैठे थे.येसु के सलीब पर चढ़ाकर मार डालने और तीसरे दिन मुर्दो में से जी उठने तक यह सब ईस्टर पर्व के पचासवें दिवस तक होता रहा. अचानक शिष्यों पर पवित्र आत्मा के रूप में कबूतर उतरती है. पवित्र आत्मा उतरते ही अलग-अलग वाणी बोलने लगे.सभी का केंद्र बिंदु प्रभु येसु ख्रीस्त ही थे.जो वचन दिये थे कि तेरे पास आ जाएंगे.प्रभु आये और ईसाई कलीसिया का उद्गगम हो गया. इसी पावन अवसर पर कुर्जी पैरिश के 65 बच्चों को ख्रीस्त का शरीर और रक्त ग्रहण करने का मौका मिला.करीब एक माह से प्रथम प्रसाद ग्रहण करने वाले बच्चों की तैयारी की गयी जो बपतिस्मा संस्कार ग्रहण किये हैं. उनको पापस्वीकार संस्कार के बाद ही प्रथम परमप्रसाद दिया जाता है.आज इनके द्यरों में जश्न का माहौल है. कुर्जी पैरिश में 31मई 2009 से संचालित है क्वीन ऑफ अपोस्तोलिक चर्च.इसके मुख्य पुरोहित फादर जोनसन का स्थानांतरण संत माइकल हाई स्कूल में सहायक ट्रेज़र के रूप में हो गया है.यहां से जाने के पूर्व फादर जोनसन का अंतिम बड़ा कार्यक्रम है जिसका स्वयं नेतृत्व किये.इन्हीं के हाथों बच्चों को प्रथम परमप्रसाद मिला.
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