विचार : छद्मभूषणों से विभूषित लोग क्यों कर सोशल-मीडिया-मैदान छोड़ देते हैं? - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 13 मई 2018

विचार : छद्मभूषणों से विभूषित लोग क्यों कर सोशल-मीडिया-मैदान छोड़ देते हैं?

----> व्हाट्सएप-फेसबुक-फेक यूनिवर्सिटी के फेक स्कॉलरों के पाठ्यक्रम में इतना मनगठंथ झूठ एण्ड हेट शामिल हो चुका है कि व्हाट्सएप-फेसबुक-सोशल मीडिया के रियल-समर्पित लोग सच लिखते-लिखते थक कर व्हाट्सएप-फेसबुक छोड़ने को विवश हो जाते हैं, लेकिन व्हाट्सएप-फेसबुक-फेक यूनिवर्सिटी के फेक स्कॉलरों का संगठित गिरोह अपना फेक अभियान बंद नहीं करता है।

----> सोशल मीडिया से जुड़े भारतीय समाज के लिये वाट्सएप-फेसबुक-फेक यूनिवर्सिटी के फेक तथ्यों पर आधारित फेक शोधों के जरिये पीएचडी की फेक उपाधि धारण करने वाले फेक विद्वानों के फेक कारनामों से बचना लगभग असंभव होता जा रहा है।

----> अपुष्ट सूत्रों का कहना है कि व्हाट्सएप-फेसबुक-फेक यूनिवर्सिटी के फेक स्कॉलरों के इस फेक अभियान के लिये, उन्हें अपने फेक आकाओं की ओर से फेक सपने सपने दिखाये जाते हैं और फेक जरियों से कमाई गयी काली कमाई में से कुछ टुकड़े भी डाले जाते हैं!

----> यदि कोई साहसी व्यक्ति ऐसे फेक लोगों के संगठित और पेड गिरोह का विरोध करने की रियल हिम्मत जुटाने की कोशिश भी करता है तो उसे वाट्सएप-फेसबुक-फेक यूनिवर्सिटी फेक स्कॉलर, सोशल मीडिया के साथ-साथ अपने-अपने एरिया में भी ऐसे व्यक्ति को असामाजिक, गद्दार, अधार्मिक, अनैतिक, दलाल, देशद्रोही और न जाने किन-किन घटिया-छद्मभूषणों से विभूषित करके इस कदर बदनाम करना शुरू कर देते हैं, कि ऐसे व्यक्ति को सामान्य जीवन जीना तक हराम हो जाता है।

----> अंतत: इन छद्मभूषणों से विभूषित अधिकतर रियल लोग, फेक लोगों के फेक अभियान के आगे घुटने टेकने या मैदान छोड़ने को विवश हो जाते हैं। सबसे दु:खद पहलु वाट्सएप-फेसबुक-फेक यूनिवर्सिटी का ज्ञान अर्जित करके युवा तथा संस्कारित हो रही वर्तमान पीढी के लिये यह अपूर्णनीय क्षति है।




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डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
राष्ट्रीय प्रमुख-हक रक्षक दल (HRD) सामाजिक संगठन
संपर्क : 9875066111

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