खूंटी सामूहिक वलात्कार काण्ड : बस थोड़ा इंतज़ार कीजिये ...हम आजाद होंगे....? - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 27 जून 2018

खूंटी सामूहिक वलात्कार काण्ड : बस थोड़ा इंतज़ार कीजिये ...हम आजाद होंगे....?

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रांची (विश्व संवाद केंद्र) झारखण्ड, अपने प्राकृतिक आवोहवा और संसाधनों के लिए जितना जाना जाता है उससे अधिक यह राज्य विस्थापन, मानवतस्करी, पलायन, नक्सली से त्रस्त रहा है.जो झारखण्ड बीर बिरसा के बिरसायत में पली बढ़ी वह आज ईसाइयत और इस्लाम का चारागाह के लिए भी कुख्यात है. अन्तराष्ट्रीय षड्यंत्रों के तहत इसाइयत ने तो इस हरे भरे प्रदेश को लील ही रखा है.तभी तो मतांतरित इसाईओं के जनजाति परम्परा की आड़ में सामान्तर सरकारे भी चला रखी है. जैसे “सरकारों के बनाए हुए कानून हम पर लागू नही होते,हमें विशेष दर्जा मिला हुआ है, सरकारे हमें कुचलने की कोशिश कर रही है.मगर ऐसा हो नही पायेगा, यहाँ कदम रखने वाले को हमारे कानूनों के तहत जवाब देना होगा, लड़ाई जारी रहेगी ...बस थोड़ा इंतज़ार कीजिये,जल्द हम आज़ाद होगे” ....ये जहरीले बोल है पत्थरगड़ी से जुड़े और कोचांग गैंगरेप का मुख्य साजिशकर्ता और मतांतरित इसाई जाँन जुनास तिडू के वहीं इसके दुसरे साथी कहता है “जो अधिकारी हम पर कारवाई कर रहे उनको जल्द अंजाम भुगतना पड़ेगा क्योंकि हम पर आईपीसी और सीआरपीसी के कानून लागू नही होते.—जोसेफ पूर्ति.”ये सारे बोल झारखंड में चल रहे है.

पुलिस आज भी अनेक स्थानों पर राज्य मुख्यालय से महज ५० किलीमीटर की दुरी बाले गाँव में भी जाने से डरता है जिसका भरपूर फाइदा चर्च नियंत्रित ये अपराधी कर रहा है.और इसी का वीभत्स रूप खूंटी गैंग रेप काण्ड है.खूंटी जिला मुख्यालय से महज ५० किलोमीटर की दुरी पर इसाई पादरी और सिस्टर की मिलीभगत से झारखंड के जनजाति महिलाओं के साथ जो हुआ वह मानवता को शर्मसार करती है.इन महिलाओं का दोष सिर्फ इतना था की वह यहाँ के लोगों को जागरूक करने के लिए नुक्कड़ नाट्यकला का सहारा लेती है. इसबार भी ये लड़कियां अपने नाट्यमंडली के साथ खूंटी जिले के अडकी थाना के कोचांग बाज़ार टांड में मानवतस्करी,पलायन और पत्थरगड़ी के विरोध में लोगो को जागरूक कर रही थी.यह घटना विगत १९ जून २०१८ की है,जहाँ आशा किरण नाट्यमंडली की ये लड़कियां लोगो में जागरूकता फैला रही थी.तभी आर सी मिशन चर्च के पादरी ने सुनियोजित ढंग से सिस्टर्स के माध्यम से इन नुक्कड़ नाट्यमंडली के कलाकारों  को अपने स्कुल स्टॉपमन मेमोरियल मध्य स्कुल बुलाया.यह स्कुल कोचांग गाँव से एक किलोमीटर दूर सघन जंगल में है.यह क्षेत्र नक्सली और पीएलऍफ़आई जैसे खूंखार संघठनो का गढ़  और अफीम खेती के लिए कुख्यात रहा है.और अभी यह क्षेत्र विशेषकर पत्थरगड़ी करने वालो के कब्जे में है. पत्थरगडी के नाम पर शाशन व्यवस्था को यह गिरोह चुनौती दे रहा है उसके गढ़ में उसी के विरोध में जागरूक करने वाली इस नाट्यमंडली को पादरी ने विना पुलिस प्रशाशन की अनुमति लिए कैसे बुला लिया जबकि इस क्षेत्र में बगैर पत्थरगडी समर्थकों के अनुमति के कोई भी नही जा सकता?

इस वीभत्स आमानवीय क्रूरता का पूरा षड्यंत्र इसाई पादरी ने पत्थरगडी समर्थको के साथ मिलकर रचा?ऐसा इसलिए भी की स्कुल में ज्योंही नाटक शुरू हुआ दस मिंट के अंदर दो मोटरबाइक पर छ: अपराधी आ धमका.१२.३० बजे का समय स्कुल में शिक्षको समेत लगभग ३०० की संख्या में विद्यार्थीयों की उपस्थिति में ये अपराधी अपराध को अंजाम दिए. पादरी अलफांसो आइंद की उपस्थिति में जब ये अपराधी वहाँ खड़े सात लडकियो को जबरदस्ती ले जाने लगा तो पादरी ने जब उन अपराधियो को बताया की इनमे से दो नन है इसे छोड़ दो .अपराधियो ने उसकी बात मान लिया.शेष पांच लड़किओं को उन दरिंदो के हवाले करते उस पादरी ने जरा नही झिझका. पीडिता ने १६४ के तहत जो वयान दिया उसे सुनकर रुंह काँप उठती है.जंगल में चार घंटो तक उन युवतीओं के साथ मारपीट किया गया,सिगरेट पिलाया,निर्वस्त्र किया गया, सामूहिक बलात्कार किया गया, फोटो और विडिओ भी बनाये गये, इतना ही नही इन युवतीओं के साथ निर्भया की तरह अमानुषिक अत्याचार भी किया गया.इनके तीन पुरुष साथिओ को भी बुरी तरह से पीटा गया उन्हें जबरन पेशाव पिलाया गया थूक चटाया गया.उसके बाद उन दरिंदो ने सभी का नाम, पता, मोबाईल नम्बर लेकर यह धमकाया की जब भी बुलाया जाएगा आना होगा नही तो तुमलोगों के फोटो और विडिओ को सार्वजनिक कर दिया जाएगा. जंगल में इन दरिंदो की दरिंदगी अपने चरम पर थी और उधर पादरी और सिस्टर सारे घटनाओं को जानते हुए भी चुप रहा किसी को खबर करने की जरुरत नही समझा, उन लडकियो को बचाने के बजाय उन दरिंदो के हवस को मिटाने में ही तो ये लोग सहयोग किया?चार घंटो के इस सामूहिक बलात्कार के बाद उन दरिंदों ने फिर इन मासूमो को उसी स्कुल में छोड़ गया जहां से जबरदस्ती उठाकर ले गया था.

जब इन पिडिताओ ने सारे बाकयात पादरी और सिस्टर्स को बताया तो दोनों ने मामले को भूल जाने की घृणित बात कही.इतना ही नही २० जुन को पादरी खूंटी आया फिर किसीको नहीं बताया .जिस आशा किरण शेल्टर होम से जुडी ये लडकिया थी वहाँ की संस्थापिका सिस्टर जेम्मा ओएसयू ने भी इतने संगीन अपराध की सुचना पुलिस को देना मुनासिब नही समझा.इन इसाई पादरिओं और सिस्टर्स के लिए तो इतना वीभत्स घटना भी मानो शून्य था?प्रशाशन को इस सामूहिक बलात्कार काण्ड की भनक २० जुन की रात ९ बजे लगी.२१ जून को पीडिता की पहचान हुई मेडिकल हुआ और केस दर्ज किया गया. पादरी अलफांसो आइंद और सिस्टर्स को तो मानवीय संवेदना भी नही थी तभी तो इस अमानवीय कुकृत्य पर पर्दा डालने का अक्षम्य अपराध किया.पुलिस ने इन लोगों पर केस दर्ज कर मामले का त्वरित निष्पादन हेतु प्रतिबद्ध है .पत्थरगडी झारखण्ड की गौरवशाली परम्परा रही है किन्तु वर्तमान समय में इसका स्वरूप सभ्य समाज को डराने वाला है. जिस रस्ते पर यह परम्परा चल रही देश और समाज के लिए घातक है.यदि समय रहते वोटो की राजनीती से ऊपर उठकर इस परम्परा के नाम पर चल रहे उत्पात को रोक नही लगी तो झारखंड पूर्वोत्तर की तरह ही अपना जनजाति अस्तित्व को लील लेगा.परम्परा के नाम पर यह कुकृत्य राज्य के लिए घातक है.राजनीती रूप से वोटो के सौदागर ने छोटी सी बात पर हाय तौब्बा मचाती है किन्तु अपने जनजाति समुदाय की बच्चियों के ऊपर हुए इस वीभत्स अत्याचार के बाद भी उनलोगों की सम्वेदना उन पिशाच इसाई पादरिओं,सिस्टर्स और पत्थरगाड़ी समर्थकों के साथ है?



---संजय कु. आज़ाद---
संपर्क : 9431162589

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