भाजपा के खिलाफ बड़ी विपक्षी एकता समय की मांग : दीपंकर भट्टाचार्य - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 10 जून 2018

भाजपा के खिलाफ बड़ी विपक्षी एकता समय की मांग : दीपंकर भट्टाचार्य

  • जो जितनी दूर साथ चले, माले जनता के भारत के निर्माण तक लड़ाई जारी रखेगा.
  • भाकपा-माले का एक दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यकर्ता कन्वेंशन संपन्न.

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पटना 10 जून, आज पटना के भारतीय नृत्य कला मंदिर में माक्र्स के विचार और हमारे कार्यभार विषय पर आयोजित राज्यस्तरीय कार्यकर्ता कन्वेंशन के पहले सत्र को संबोधित करते हुए माले महासचिव काॅ. दीपंकर भट्टाचार्य ने कहा कि केंद्र की भाजपा सरकार को दिल्ली के तख्त से बेदखल करना हमारा फौरी कार्यभार है. भाजपा आज देश के लिए बड़ा खतरा बन गई है इसलिए विपक्षी पार्टियों के बीच बड़ी एकता के निर्माण की परिस्थितियां बन रही है. इस एकता में कई ऐसी पार्टियां होंगी जिन्होंने आज तक जनता के बुनियादी सवालों पर एक भी लड़ाई नहीं लड़ाई है. इनमें कई के साथ हमोर रिश्ते बेहद संघर्ष और कड़ुवाहट के रहे हैं. फिर भी आज देश के समक्ष भाजपा रूपी फासीवादी ताकतों के खतरे के सामने ऐसी ताकतें हमारे साथ जितनी भी दूर चलें, हम साथ चल सकते हैं. हमारा कार्यभार केवल 2019 के चुनाव में भाजपा को हराना नहीं है बल्कि हम कल की लड़ाई आज लड़ रहे हैं. भाजपा जैसी ताकतों का समूल नाश और जनता का भारत बनाने तक हमारा संघर्ष जारी रहेगा. उन्होंने कहा कि संघ-भाजपा के लिए माक्र्स विदेशी हैं लेकिन हम सबके लिए उनके विचार सामाजिक बदलाव के महत्वपूर्ण हथियार हैं. देश की सत्ता में बैठी फासीवादी-मनुवादी ताकतों को न केवल माक्र्स बल्कि भगत सिंह, अंबेदकर, पेरियार आदि सभी के विचारों से डर लगता है. लोकतांत्रिक व जनवादी भारत के निर्माण में माक्र्स के विचार हमारे लिए सदा प्रेरणा के स्रोत साबित होंगे.

कन्वेंशन स्थल पर संवाददाताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि आज देश में एक नई हलचल दिख रही है. देश के किसानों के भीतर गहरा आक्रोश है, जिसका परिणाम कैराना के चुनाव में दिखा. दलितों-नौजवानों के भीतर भी इस आक्रोश को देखा जा सकता है. निश्चित रूप से मोदी सरकार को जनता के इस आक्रोश को झेलना होगा. कहा कि आरएसएस प्रणव मुखर्जी को बुलाकर उदार बनने की कोशिश कर रहा है, लेकिन ऐसा बिलकुल नहीं है. यदि हामिद अंसारी को आरएसएस अपने मंच पर बुलाये तो कोई बात हो सकती है. प्रणव मुखर्जी ने वही बात कही जो हामिद अंसारी लंबे समय से कहते रहे हैं. लेकिन हमने एएमयू में देखा कि हामिद अंसारी के कार्यक्रम को लेकर किस तरह का उन्माद खड़ा किया गया.  भीमा कोरेगंाव में हमलावरों को गिरफ्तार करने की बजाए आज दलित-अंबेदकरवादी कार्यकर्ताओं को माओवादी कहकर प्रताड़ित किया जा रहा है. कहा जा रहा है कि मोदी की जान पर खतरा है. भला ऐसा कौन सा माओवादी होगा जिसने मोदी को खत्म करने की बात लिखकर रखी हो. जाहिर है कि इस बहाने मोदी एक बार फिर देश में एक गलत बहस पैदा करना चाहते हैं. नीतीश कुमार पर कहा कि वे बड़े अवसरवादी नेता हैं और उनपर कत्तई भरोसा नहीं किया जा सकता.

कन्वेंशन के दूसरे सत्र में राज्य की राजनीतिक परिस्थितियों पर चर्चा हुई. जिसे माले महासचिव के अलावा राज्य सचिव कुणाल, पोलित ब्यूरो के सदस्य राजाराम सिंह, ऐपवा की महासचिव मीना तिवारी, केंद्रीय कमिटी के सदस्य गोपाल रविदास, मनोज मंजिल, राजू यादव, भोजपुर जिला सचिव जवाहर लाल सिंह, रोहतास जिला सचिव अरूण सिंह, सिवान जिला सचिव नईमुद्दीन अंसारी, अरवल जिला सचिव महानंद, जहानाबाद जिला सचिव श्रीनिवास शर्मा आदि ने संबोधित किया. जबकि कन्वेंशन की अध्यक्षता काॅ. धीरेन्द्र झा, रामेश्वर प्रसाद, अरूण सिंह, रीता वर्णवाल आदि नेताओं ने किया. इस मौके पर बिहार के कोने-कोने से पार्टी कार्यकर्ता शामिल हुए. कन्वेंशन में मुख्य रूप से 23 जून को अखिल भारतीय किसान महासभा के बैनर से किसानों के सवाल पर 23 जून को चक्का जाम, 22 जून का मुजफ्फरपुर सुधार गृह में छात्राओं के साथ बलात्कार के खिलाफ मुख्यमंत्री के समक्ष प्रदर्शन और 11 से 20 जून तक भाकपा-माले व खेग्रामस के बैनर से प्रखंड मुख्यालयों पर धरना-प्रदर्शन करने का निर्णय किया गया. 

कन्वेंशन के प्रस्ताव
1. बिहार में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण पैदा करने हेतु संघ-भाजपा व अन्य हिंदुवादी संगठनों को दी गई खुली छूट और विध्वंस की इन ताकतों के सामने नीतीश कुमार के आत्मसमर्पण को कन्वेंशन राज्य के लिए बेहद खतरनाक मानता है तथा सांप्रदायिक जहर घोलने के हर प्रयास का मुंहतोड़ जवाब देने, फासीवादी ताकतों को निर्णायक शिकस्त देने तथा बिहार की जनता से सांप्रदायिक सौहार्द की भावना को बुलंद करने की अपील करता है.
2.  सभी प्रकार के कर्जों की अविलंब माफी, किसानों के फसल लागत का कम से कम ड्योढ़ा दाम और फसल खरीद की गारंटी के सवाल पर किसानों के गांवबंदी आंदोलन का कन्वेंशन पुरजोर समर्थन करता है. कन्वेंशन बिहार में गेहूं खरीद अविलंब आरंभ करने, मकई का समर्थन मूल्य घोषित करने व सरकारी खरीद की व्यवस्था करने, मक्का में दाना नहीं आने से लाखों पीड़ित किसानों को मुआवजा देने, बाढ़-ओला वृष्टि व अन्य प्राकृतिक कारणों से किसानों की बर्बाद हुई फसल की क्षति-पूर्ति करने, बटाईदार किसानों को सभी प्रकार की सरकारी सुविधाएं, सिकमी बटाईदारों को जमीन का मालिकाना हक देने तथा भूमि सुधार आयोग की सिफारिशों को संपूर्णता में लागू करने की मांगों को फिर से दुहराता है. उक्त सवालों पर अखिल भारतीय किसान महासभा द्वारा आगामी 23 जून को राज्यस्तरीय चक्का जाम आंदोलन को सफल बनाने की भी अपील करता है.
3. बिहार सरकार का दखल-देहानी अभियान गरीबों की जमीन से बेदखली का अभियान साबित हुआ है जबकि पूरे राज्य में चास-वास की जमीन के लिए लाखों गरीबों ने आवेदन दिए थे. कन्वेंशन चास-वास की जमीन से गरीबों की बेदखली पर अविलंब रोक लगाने, उन्हें जमीन का परचा देने, सभी भूमिहीन गरीबों को वास के लिए 5 डिसमिल जमीन, शहरी गरीबों के लिए आवास संबंधी नए कानून बनाने व पक्का मकान देने तथा औपनिवेशिक कानून कोर्ट आॅफ वार्ड्स का खत्म करने की मांग करता है. उपर्युक्त सवालों के साथ जनवितरण की खराब प्रणाली, राशन में कटौती, आधर कार्ड के नाम पर वृद्धा-विकलांग-विधवा पंेशन देने में आनाकानी, शौचालय के नाम पर गरीबों की प्रताड़ना, प्रधानमंत्री आवास योजना में कमीशन आदि सवालों पर 11-20 जून तक भाकपा-माले और खेग्रामस के संयुक्त बैनर से प्रखंड मुख्यालयों पर धरना/प्रदर्शन के कार्यक्रम को सफल बनाने की अपील करता है.
4. मुजफ्फरपुर रिमांड होम की घटना ने फिर से उजागर किया है कि भाजपा-जदयू राज में लड़कियों के आश्रय गृह यौन शोषण और बलात्कार का अड्डा बन गए हैं. ऐसे संगीन अपराध को महीनों तक दबाकर मामले की लीपापोती के प्रयासों की कड़ी निंदा करते हुए कन्वेंशन मुजफ्फरपुर के कल्याण पदाधिकारी समेत राज्य के उन उच्च अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की मांग करता है जिन्होंने इस मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की है. कन्वेंशन राज्य के सभी रिमांड गृहों की जांच उच्च न्यायालय के किसी न्यायाधीश की देख-रेख में करवाने की मांग करता है. इन सवालों पर ऐपवा द्वारा आगामी 22 जून को मुख्यमंत्री के समक्ष आयोजित प्रदर्शन को सफल बनाने की भी अपील करता है. 
5. कन्वेंशन भीमा कोरगंाव के मुख्य आरोपी भिंडे को गिरफ्तार करने की बजाए दलितवादी-अंबेदकरवादी कार्यकर्ताओं को माओवादी कहकर प्रताड़ित करने की कार्रवाई की तीखी निंदा और सरकारी दमन के खिलापफ एकताबद्ध संघर्ष का आह्वान करता है.
6. कन्वेंशन एससी/एसटी कानून में हुए संशोधन को रद्द करने, तत्काल अध्यादेश लाकर उसे पुराने रूप में बहाल रखनेे, आरक्षण में की जा रही कटौती की कोशिशों पर रोक लगाने तथा प्रमोशन में आरक्षण के सवाल पर सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम फैसले का स्वागत करते हुए इसे बहाल रखने की मांग करता है. फैसले के बाद सरकार प्रमोशन में आरक्षण के संवैधानिक हक के तहत असली हकदारों को तत्काल इसका लाभ प्रदान करे. 
7. महंगाई पर रोक मोदी सरकार का एक प्रमुख वादा था लेकिन नोटबंदी, जीएसटी आदि जैसी कार्रवाइयों के जरिए जहां कारपोरेटों को भारी छूट दी गई है वहीं आम जनता के जीवन स्तर को और संकट में डाल दिया गया है. कन्वेंशन पेट्रोल-डीजल के दाम को नियंत्रित करने और कमरतोड़ महंगाई पर रोक लगाने की मांग करता है.  
8. आज भारत दुनिया में सबसे ज्यादा बेरोजगार युवाओं का देश बन गया है. पिछले एक साल में बेरोजगारी दर दुगुनी हो गई है. मोदी सरकार के विश्वासघात के खिलाफ रोजगार के सवाल पर चल रहे ‘रोजगार मांगें इंडिया’ आंदोलन के प्रति कन्वेंशन पूरा समर्थन व्यक्त करता है. साथ ही आने वाले दिनों में बिहार में आइसा-इनौस के बैनर से इस सवाल पर राज्यस्तरीय प्रदर्शन की योजना को सपफल बनाने के लिए सभी साथियों से इसमें सहयोग की अपील करता है.
9. कन्वेंशन संविधान की धर्मनिपरेक्ष भावना से खिलवाड़ बंद करने, सांप्रदायिक ‘नागरिकता कानून संशोधन बिल, 2016’ को वापस लेने तथा इस सवाल पर 11 जून को आयोजित राष्ट्रव्यापी प्रतिवाद को सपफल बनाने की अपील करता है.

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