नई दिल्ली, 14 जून, दिल्ली उच्च न्यायालय में गुरुवार को दाखिल की गई एक जनहित याचिका (पीआईएल) में उपराज्यपाल के कार्यालय पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगियों के धरना-प्रदर्शन को असंवैधानिक व अवैध घोषित करने की मांग की गई, क्योंकि इससे सरकारी मशीनरी में ठहराव आ गया है। यह याचिका दिल्ली के वकील हरिनाथ राम द्वारा अपने वकील शशांक देव सुधी व शशि भूषण के जरिए दाखिल की गई है। इस पर अगले सप्ताह सुनवाई होने की उम्मीद है। वकील सुधी ने अदालत से आग्रह किया, मुख्यमंत्री के कर्तव्यों व उत्तरदायित्वों के निर्वहन के लिए निर्देश दें, क्योंकि हड़ताल के आह्वान के बाद से दिल्ली के मुख्यमंत्री कार्यालय की पूरी कार्य पद्धति में ठहराव आ गया है। इसमें विधायकों ने असंवैधानिक कार्य में नहीं शामिल होने की बात सुनिश्चित करने के लिए व्यापक दिशानिर्देश तैयार करने की भी मांग की गई है। याचिका में कहा गया, राजनेताओं के संविधान का समर्थक होने की जरूरत है। उन्हें संवैधानिक नियमों को तोड़ने वाला नहीं बनना चाहिए। तत्कालिक परिस्थितियां अराजक प्रशासनिक निर्बलता को दिखाती हैं, जिसे तत्काल सुव्यवस्थित करने की जरूरत है। उपराज्यपाल के कार्यालय पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल व उनके मंत्रिमंडल सहयोगियों के धरना प्रदर्शन का गुरुवार को चौथा दिन भी जारी रहा, जबकि स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन के अनशन का दूसरा दिन व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के अनशन का पहला दिन पूरा हुआ। केजरीवाल, सिसोदिया, जैन व गोपाल राय उपराज्यपाल अनिल बैजल के आधिकारिक-अवास-सह कार्यालय राजनिवास में सोमवार की शाम से धरने पर बैठे हुए हैं।
गुरुवार, 14 जून 2018

केजरीवाल के धरने के खिालफ जनहित याचिका
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