विश्व के 100 से अधिक देशों में प्रति वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों में पर्यावरण के प्रति जागरूकता व इसे अक्षुण बनाए रखने हेतु सकारात्मक सोंच को जीवंत बनाए रखने की एक बड़ी कोशिश है। पर्यावरणविद व स्नातकोत्तर रसायन शास्त्र विभाग के प्रोफेसर हशमत अली ने उपरोक्त बातें कहीं। प्रो हशमत अली ने कहा कि इस अभियान का आयोजन संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण संगठन द्वारा प्रत्येक वर्ष किया जाता है, जिसकी स्थापना सन 1972 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा की गयी थी. श्री हशमत अली ने कहा कि जंगलों की अंधाधुंध कटाई , जल-वायु-मृदा प्रदुषण , क्लोराइड फ्लोर कॉर्बन का अत्यधिक विसर्जन, ग्लोबल वार्मिंग, ग्रीन हाउस प्रभाव, ओजोन छिद्र, अम्ल-वर्षा इत्यादि कारणों से पर्यावरण काफी हद तक प्रदूषित हो चुका है। इसकी त्रासदी आगामी वर्षों में मनुष्य को झेलने के लिए बाध्य होना पड़ेगा। अभी से ही यदि पर्यावरण के प्रति जागरूकता व सुरक्षा नियमों का सख्ती से पालन नहीं किया गया तो वह दिन दूर नहीं जब हम श्वसन कृया से भी वंचित रह जाऐंगे। डॉ हशमत अली ने कहा कि प्रत्येक वर्ष पर्यावरण को स्वच्छ बनाये रखने हेतु जागरूकता कार्यक्रमों सहित रैलियों का आयोजन किया जाता है ताकि सार्वजानिक व सामाजिक ध्यानाकर्षण को बढ़ावा मिल सके, जिससे सबों की भागीदारी विभिन्न सुरक्षा उपायों के माध्यम से पर्यावरण को अनुकूल बनाने में आम आदमी की भागीदारी सुनिश्चित हो सके।
मंगलवार, 5 जून 2018
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पर्यावरण के प्रति जागरूकता व इसे अक्षुण बनाए रखने हेतु सकारात्मक सोंच की जरूरत : डॉ हशमत अली
पर्यावरण के प्रति जागरूकता व इसे अक्षुण बनाए रखने हेतु सकारात्मक सोंच की जरूरत : डॉ हशमत अली
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