प्राचीन गणतांत्रिक धरोहरों की रक्षा से ही मजबूत होगा लोकतंत्र : निखिल कुमार - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 28 जून 2018

प्राचीन गणतांत्रिक धरोहरों की रक्षा से ही मजबूत होगा लोकतंत्र : निखिल कुमार

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पटना, 28 जून, केरल के पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार ने यहां गुरुवार को कहा कि आजकल गणतांत्रिक मूल्यों का धीरे-धीरे ह्रास हो रहा है। हाल के दिनों में गणतंत्र धनतंत्र में तब्दील होता जा रहा है। यह गणतंत्र की मूल आत्मा पर करारा प्रहार है। उन्होंने कहा कि प्राचीन गणतांत्रिक धरोहरों की रक्षा से लोकतंत्र मजबूत होगा। पटना में वैशाली-बसव गणतंत्र मंथन समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यह ऐतिहासिक संयोग है कि ईसा की छठी शताब्दी पूर्व वैशाली के गणतंत्र और 12वीं सदी के बसव गणतंत्र का मंचन आज महान पाटलिपुत्रा की धरती पर हो रहा है। उन्होंने कहा कि वैशाली गणतंत्र और दक्षिण का बसव गणतंत्र दोनों में प्रशासनिक निर्णयों में आम लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने का प्रावधान था। उन्होंने आम लोगों से गणतंत्र की रक्षा के लिए जोरदार कदम उठाने की अपील करते हुए कहा कि यह सबों का दायित्व है। कुमार ने इस कार्यक्रम के उद्घाटन करने के बाद लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि गणतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए ऐसे आयोजनों का होना आवश्यक है। गणतंत्र मंथन का यह उत्सव भारतीय लोकतांत्रिक मूल्यों को और मजबूत करेगा।

समारोह को संबोधित करते हुए अरविंद जत्ती ने कहा कि बिहार न केवल क्रांति की भूमि रही है, बल्कि भगवान महावीर व बुद्ध की यह भूमि गणतंत्र के प्रयोग की भी भूमि है। उन्होंने कहा, "भारत के कई महत्वपूर्ण बदलाव की शुरुआत बिहार की धरती से हुई है। आज वह समय आ गया है, जब हम एक बार फिर बिहार की धरती से एक क्रांति कर सकते हैं। इसके लिए वेद, त्रिपिटक आदि पर एक जगह चर्चाएं हों।" उन्होंने कहा कि दक्षिण भारत के बसवेश्वर के वचन और नीतियों के प्रचार-प्रसार की शुरुआत भी बिहार से ही हो रहा है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता अनिल कुमार ने कहा कि सामाजिक मूल्यों में निरंतर गिरावट आने की वजह से गणतांत्रिक मूल्यों में भी गिरवाट आ रही है। आज का यह कार्यक्रम संदेश देता है कि अपने प्राचीन गणतांत्रिक धरोहरों को याद करके आधुनिक समाज के नवनिर्माण में हम अपनी महती भूमिका तय करें और उसे निभाएं। कार्यक्रम का संचालन सोसाइटी ऑफ सोशल ओपिनियन के निदेशक राघवेंद्र सिंह कुशवाहा ने किया। इस दौरान 12वीं सदी के वचन साहित्य के इतिहास की किताबें मैथिली, संथाली, भोजपुरी, अखंड भारत के साथ ठाकुर समाज का साहित्य, नारी जीवन और बसव की नीतियों की पुस्तक का लोकार्पण भी किया गया। कार्यक्रम में डॉ. जयश्री मिश्र, भंते सुमन, बाबा गुरुमिंदर सिंह, नंदन पटेल, अरविंद भंते, डॉ. विलासवती खूबा, इंद्रजीत बरेल, जर्नादन पाटिल, डॉ. धनाकर ठाकुर, सूर्य नारायण सहनी, शारदा, इंद्रजीत पटेल, इकबाल हसन और नंदन पटेल ने भी गणतंत्र और उसके मूल्यों को लेकर अपनी बात रखी।

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