दुमका : पुलिस ने 16 संथाली धर्मप्रचारकों को गिरफ्तार कर दुमका जेल भेज दी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 13 जुलाई 2018

दुमका : पुलिस ने 16 संथाली धर्मप्रचारकों को गिरफ्तार कर दुमका जेल भेज दी

  • धर्म प्रचार करने गये थे न कि जबरन धर्मान्तरण कर रहे थे ?

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दुमका.बीजेपी शासित है झारखंड प्रदेश.यहां पर झारखंड धर्मान्तरण बिल लागू है.भारतीय संविधान के अनुसार अधिकार है कि अपने धर्म के बारे जानकारी दें.प्रभु येसु के बारे में लिखित सुसमाचार का प्रचार करने निकले 16 संथाल विश्वासियों को गिरफ्तार कर दुमका जेल भेज देने की खबर है.16 सदस्यीय युवा टीम में 7 लड़किया भी हैं.इसमें जबरन धर्म परिवर्त्तन की बात ही नहीं है और न ही संभावना ही है. इन पर झारखंड धर्मान्तरण बिल के विरूद्ध सुसमाचार प्रचार करने का आरोप है.यह सब एक बीजेपी नेता के इशारे पर किया गया.तब पुलिस ने तत्परता दिखाकर 16 संथालियों को गिरफ्तार कर दुमका जेल भेज दी है. जबकि सभी दुलपाहारी गांव में सुसमाचार का प्रचार कर रहे थे। मजे की बात है कि अब स्थानीय बीजेपी नेता को परेशानी हो रही है कि ग्रामीणों को कैसे समझाकर उनके खिलाफ झूठी शिकायत व साक्ष्य उपलब्ध करा सके.उनको प्रेरित करने के लिए प्रलाेभन भी दिया जा रहा है. दूसरी ओर मसीही भगवान पर निर्भर हो गये हैं.तारणहार से हस्तक्षेप करने के लिए प्रार्थना कर रहे हैं.उनके पास बल है. इस समस्या का समाधान निकाल लेंगे.

झारखण्ड की उपराजधानी दुमका जिले के शिकारीपाड़ा थाना अंतर्गत गांव में जबरन धर्मान्तरण कराने के प्रयास के आरोप में 16 लोगों(धर्म प्रचारकों) को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया. गिरफ्तार लोगों में 7 (सात) महिलाएं भी शामिल हैं. सभी आरोपियों के खिलाफ शिकारीपाड़ा थाना कांड संख्या 52/18 दिनांक 06-07-18 के तहत भादवि की धारा 295(A)/34 एवं झारखण्ड धर्म स्वतंत्र अधिनियम की धारा 4 के अंतर्गत प्राथमिकी दर्ज कर जेल भेज दिया गया है. शिकायकर्ता रमेश मुर्मू का आरोप है कि सभी गिरफ्तार आरोपी गांव में घुसकर संताल आदिवासियों को जबरन ईसाई धर्म कबूल करने और माइक लगाकर ‘जाहेरथान(संथाल आदिवासियों का पूजा का स्थान)’ नहीं जाने के लिए मना कर रहे थे. ग्रामीणों ने रातभर आरोपियों को गांव में ही पकड़कर रखा और दूसरे दिन शुक्रवार को पुलिस को सूचना दी. शनिवार को सभी आरोपियों को जेल भेज दिया गया. दुमका नक्सल प्रभावित शिकारीपाड़ा थाना क्षेत्र के आदिवासी बाहुल्य गांव फूलपहाड़ी में गुरुवार की देर शाम ईसाई धर्म का प्रचार करने पहुंचे मिशनरियों(धर्म प्रचारकों) को ग्रामीणों ने बंधक बना लिया. जब इसकी सूचना शिकारीपाड़ा थाना पहुंची तो शुक्रवार को शिकारीपाड़ा थाना पुलिस बल के साथ फूलपहाड़ी पहुंचकर बंधक बनाये गए सभी धर्म प्रचारकों को उनके प्रचार वाहन के साथ मुक्त कराकर थाना ले आई. फूलपहाड़ी गांव के ग्राम प्रधान रमेश मुर्मू ने शिकारीपाड़ा थाना में अपने दिए गए आवेदन में बताया है कि गुरुवार की शाम तकरीबन सात बजे एक मिनी बस पर सवार होकर सभी धर्म प्रचारक गांव पहुंचे थे. पूछने पर बताया कि उन लोगों को ऊपर से ही आदेश प्राप्त है. किसी भी गांव में कभी भी जाकर अपना काम कर सकते हैं. ग्रामीणों के साथ थाना पहुंचे प्रखंड 20 सूत्री अध्यक्ष श्याम मरांडी ने कहा कि इन लोगों की मंशा रात में धर्म परिवर्तन कराने की थी जो सफल नहीं हो सकी.

पूजा छोड़ ईसाई धर्म अपनाने का कर रहे थे प्रचार
उन्होंने कहा कि मिशनरियों ने फूलपहाड़ी गांव के बीच में माइक लगाकर ईसाई धर्म का प्रचार शुरु कर दिया. प्रचार के दौरान यह संदेश प्रसारित किया जा रहा था कि गांव में जो जाहेर थान, मांझी थान है उनमें शैतान निवास करता है. उसकी पूजा छोड़कर ईसाई धर्म को अपनाएं. वहीं आरोपी धर्म प्रचारक बीरेंद्र हेम्ब्रम ने स्वीकार किया कि वे लोग अपनी पूरी टीम के साथ गांव में धर्म प्रचार करने आये थे लेकिन बीरेंद्र ने यह भी कहा कि वे लोग जबरन धर्मान्तरण कराने का प्रयास नहीं कर रहे थे. इधर सदर थाना के इंस्पेक्टर रामपूजन सिंह ने कहा कि सभी 16 आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर जेल भेजा रहा है. इन आरोपियों में 7 महिलाये और 9 पुरुष शामिल हैं.

क्या है धर्म स्वतंत्र विधेयक
गौरतलब है कि झारखंड में धर्म स्वतंत्र विधेयक (फ्रीडम ऑफ रेलिजन बिल), 2017 को सितंबर, 2017 में राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू की स्वीकृति मिलने के बाद राज्य सरकार ने इसे अधिसूचित कर दिया था. इसी के साथ यह कानून के रूप में राज्य में लागू हो चुका है. इस अधिनियम के तहत झारखंड में अब किसी भी व्यक्ति को बलपूर्वक, कपट से या प्रलोभन देकर धर्म परिवर्तन नहीं कराया जा सकेगा. ऐसा कृत्य संज्ञेय व गैर जमानती अपराध माना जाएगा. ऐसे मामलों की जांच पुलिस निरीक्षक से निम्न पद के पुलिस अधिकारियों द्वारा नहीं की जाएगी.

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