तीव्र आर्थिक वृद्धि, रोजगार सृजन के लिये एल्यूमीनियम नीति की जरूरत - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 30 जुलाई 2018

तीव्र आर्थिक वृद्धि, रोजगार सृजन के लिये एल्यूमीनियम नीति की जरूरत

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नयी दिल्ली, 29 जुलाई, नीति आयोग के सदस्य वी.के. सारस्वत ने देश में औद्योगीकरण को गति देने तथा रोजगार सृजन के लिये अलग से एल्यूमीनियम नीति बनाये जाने और इस क्षेत्र को बुनियादी उद्योग का दर्जा देने की वकालत की है। उन्होंने यह भी कहा कि कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने और जलवायु परिर्वतन की चुनौतियों से निपटने के लिहाज से यह क्षेत्र काफी महत्वपूर्ण है। सारस्वत के अनुसार, ‘‘प्रति व्यक्ति एल्यूमीनियम की खपत देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) से जुड़ी है। सामान्य रूप से यह पाया गया है कि प्रति व्यक्ति जीडीपी बढ़ने एवं औद्योगीकरण के साथ एल्यूमीनियम खपत बढ़ी है।’’ इसका उदाहरण देते हुए वह कहते हैं, ‘‘औद्योगिकृत और उच्च प्रति व्यक्ति आय वाले देश दक्षिण कोरिया में एल्यूमीनियम की प्रति व्यक्ति खपत 46.7 किलो है। वहीं जर्मनी में 29.9 किलो और अमेरिका में 18 किलो है। मध्यम आय वाले देश चीन में यह 24 किलो, ब्राजील तथा रूस में क्रमश: 8.5 किलो तथा 8.4 किलो है। वहीं भारत में यह 2.5 किलो प्रति व्यक्ति है जबकि वैश्विक औसत 11 किलो का है।’’ सारस्वत ने ये बातें दिल्ली के अर्थशास्त्री अनिरूद्ध घोष के साथ ‘भारत में एल्यूमीनियम नीति की जरूरत’ शीर्षक से लिखी रिपोर्ट में कही है।

रिपोर्ट के अनुसार अलौह-धातु (एल्यूमीनियम, तांबा, निकेल आदि) का उत्पादन और रोजगार के संदर्भ में गुणक प्रभाव काफी मजबूत है। इस क्षेत्र में निवेश से जहां एक तरफ खनन, माल ढुलाई जैसे क्षेत्रों में तेजी आती है वहीं विमानन, रक्षा, वाहन, बिजली, निर्माण और पैकेजिंग उद्योग को गति मिलती है और फलत: बड़े पैमाने पर रोजगार भी सृजित होते हैं। गुणक प्रभाव से तात्पर्य एक रुपये के निवेश पर उससे कहीं अधिक प्राप्ति होने से है। इसमें कहा गया है कि एल्यूमीनियम उद्योग देश में प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से 8,00,000 लोगों को रोजगार दे रहा है और दूर-दराज क्षेत्र में उद्योग के स्थित होने से वहां के विकास में यह क्षेत्र काफी मददगार रहा है। आने वाले समय में इस क्षेत्र का ‘मेक इन इंडिया’, 100 स्मार्ट शहरों के विकास तथा 2022 तक 1,00,000 मेगावाट सौर ऊर्जा क्षमता जैसे कार्यक्रमों में महत्वपूर्ण योगदान होगा।

रिपोर्ट के अनुसार कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने और पर्यावरण चुनौतियों से पार पाने में भी एल्यूमीनियम उपयोगी है। इसमें कहा गया है कि वाहनों में भारी धातु स्टील के मुकाबले तीन गुना हल्के एल्यूमीनियम के उपयोग से बड़े पैमाने पर ईंधन की बचत की जा सकती है। अमेरिकी ऊर्जा विभाग के अनुसार वाहनों के वजन में 10 प्रतिशत की कमी से 6 से 8 प्रतिशत ईंधन की बचत हो सकती है। डीआरडीओ के पूर्व प्रमुख रहे सारस्वत के अनुसार, ‘‘राष्ट्रीय रक्षा और सुरक्षा के लिहाज से एल्यूमीनियम एक महत्वपूर्ण धातु है। उच्च और न्यूनतम तापमान, विकिरण को सहने में सक्षम इस धातु का व्यापक रूप से उपयोग मिसाइल के कल-पुर्जे बनाने, टैंक, बख्तरबंद वाहन, विमान, नौसेना जहाज और उपग्रहों में होता है।’’ इसके अलावा बिजली पारेषण, परिवहन प्रणाली, विनिर्माण उद्योग, निर्माण और अन्य प्रमुख ढांचागत क्षेत्रों में भी यह काफी उपयोगी है। रिपोर्ट में देश में औद्योगीकरण और आर्थिक वृद्धि तथा रोजगार सृजन को गति देने के लिये एल्यूमीनियम नीति की जरूरत को रेखांकित करते हुए इसे बुनियादी उद्योग का दर्जा देने, कोयला और बाक्साइट खनन में सुधार, एल्यूमीनियम से बने छड़, चादरें जैसे उत्पाद (डाउनस्ट्रीम) बनाने वाले विनिर्माताओं के लिये निर्यात नीति आदि का सुझाव दिया गया है

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