नई दिल्ली, 15 जुलाई, उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने रविवार को सभी राज्य सरकारों से विद्यालयों में मातृभाषा की शिक्षा को अनिवार्य बनाने की अपील की। आंध्र शिक्षा सोसायटी के स्थापना दिवस कार्यक्रम में यहां उपराष्ट्रपति ने इस बात पर बल दिया कि भाषा से संस्कृति, मूल्य, नैतिकता और परंपरागत ज्ञान को मूर्त रूप प्रदान किया जाता है। उपराष्ट्रपति कार्यालय की ओर से जारी बयान में नायडू ने कहा, "कोई जितनी भी भाषा सीखना चाहे उतनी सीख सकता है, लेकिन उसे अपनी मातृभाषा की उपेक्षा नहीं करनी चाहिए, क्योंकि सभ्यता के व्यापक सांस्कृतिक पहलुओं को संरक्षित रखने के लिए भाषा की संरक्षा आवश्यक है।" उन्होंने कहा कि किसी क्षेत्र की संस्कृति उसकी सभ्यता, लोकाचार, ज्ञान, नैतिकता, रीति और सामाजिक कसौटी का परिचायक होती है और एक दूसरे की भाषा और संस्कृति के प्रति सम्मान से भारत की एकता और अखंडता को मजबूती मिलेगी। नायडू ने स्वतंत्रता सेनानी दुर्गाबाई देशमुख के कार्यो व उपलब्धियों की सराहना की। सोसायटी उनकी जयंती पर ही अपना स्थापना दिवस मनाती है। उन्होंने महिला शिक्षा के लिए पथप्रदर्शक कार्य किया। उन्होंने कहा, "वह स्वतंत्रता सेनानी, वकील, सामाजिक कार्यकर्ता, शिक्षाशास्त्री और राजनीतिज्ञ के रूप में सबके लिए प्रेरणा स्रोत थीं। उन्होंने अनेक अस्पताल, कॉलेज, नर्सिगहोम, और महिलाओं के लिए व्यावसायिक शिक्षा केंद्र स्थापित करने में सक्रिय भूमिका निभाई।" नायडू ने कहा कि देशमुख ने कई समस्याओं को दूर करने के लिए महिलाओं की शिक्षा के महत्व को समझा।
सोमवार, 16 जुलाई 2018
विद्यालयों में मातृभाषा की शिक्षा अनिवार्य हो : उपराष्ट्रपति
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