राफेल सौदा मामले में प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री ने लोकसभा को गुमराह किया - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 24 जुलाई 2018

राफेल सौदा मामले में प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री ने लोकसभा को गुमराह किया

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नई दिल्ली, 23 जुलाई, कांग्रेस ने फ्रांस से खरीदे गए राफेल लड़ाकू विमान की कीमत का खुलासा नहीं करने पर सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण पर लोकसभा को गुमराह करने का आरोप लगाया और उनके खिलाफ विशेषाधिकार का हनन प्रस्ताव लाने का संकेत दिया। पूर्व रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी और पार्टी के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा ने एक प्रेस वार्ता में कहा, "भारत के लोगों को गुमराह और भ्रम में डालकर प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री ने संसद में झूठ बोला है। राफले विमान की वाणिज्यिक लागत का खुलासा करने से फ्रांसीसी सरकार के साथ किसी भी गुप्त समझौते का न तो उल्लंघन होगा और न ही इससे कोई भी गुप्त जानकारी प्रकट होगी।" पार्टी सूत्रों ने कहा कि कानून विशेषज्ञों के साथ इस बारे में बातचीत की गई है और लोकसभा में पार्टी के नेता मल्लिकार्जुन खड़े एक-दो दिन में मोदी और सीतारमण के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का प्रस्ताव लाने पर फैसला करेंगे। एंटनी और शर्मा ने लोकसभा में 20 जुलाई को राजग सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के दौरान चर्चा के संदर्भ में कहा कि 'प्रधानमंत्री राफेल सौदे में छद्म-राष्ट्रीयता की आड़ के पीछे छुप रहे हैं' और सच यह है कि 'मोदी सरकार राष्ट्रीय हित और राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ समझौता करने की दोषी है।' दोनों नेताओं ने कहा कि गलत तरीके से गुप्त रखने की कोशिश, खुद को पराजित करने वाले दावे और जानबूझकर झूठ, लोगों का ध्यान हटाने, उन्हें धोखा व झांसा देने के लिए बोले जा रहे हैं। उन्होंने कहा, "सार्वजनिक खजाने को भारी हानि की गंभीर शंका और दावों का खुलासा हुआ है क्योंकि सरकार सच कहने से भाग रही है।"

राफेल सौदे में गोपनीयता के प्रावधान का हवाला देने वाले सरकार के दावे को खारिज करते हुए एंटनी ने कहा कि भारत-फ्रांस सरकारों के बीच 2008 में हुए करार में यह कहीं नहीं है कि रक्षा सौदे से जुड़ी व्यावसायिक खरीदारी की कीमत का खुलासा नहीं किया जा सकता। एंटनी ने कहा, "समझौते का दायरा केवल प्लेटफार्म की क्षमता व युद्ध में इसके प्रदर्शन और रणनीति से संबंधित हथियारों के सामरिक व तकनीकी विवरण तक फैला हुआ है और इसमें वाणिज्यिक विवरण व लागत शामिल नहीं है। यह स्पष्ट है कि प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री ने देश को गुमराह किया है।" उन्होंने दावा किया कि संप्रग सरकार के दौरान 2012 में 36 राफेल विमानों के लिए 18,940 करोड़ रुपये की अंतर्राष्ट्रीय बोली लगाई गई थी जबकि मोदी सरकार ने इतने ही विमानों को 60,145 करोड़ रुपये में खरीदा है। उन्होंने भाजपा से अतिरिक्त 41 हजार करोड़ रुपये के भुगतान के बारे में बताने को कहा। उन्होंने दावे के साथ कहा कि कानून के तहत सरकार संसद की लोक लेखा समिति, रक्षा पर संसदीय स्थायी समिति और नियंत्रक व महालेखापरीक्षक (सीएजी) को पूरी जानकारी प्रदान करने के लिए बाध्य है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार सौदा की वाणिज्यिक लागत का खुलासा क्यों नहीं कर रही है।

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