इस्लामाबाद, 11 जुलाई, पाकिस्तान के पेशावर शहर में एक चुनावी रैली के दौरान हुए आत्मघाती हमले में अवामी नेशनल पार्टी (एएनपी) के उम्मीदवार सहित 20 लोग मारे गए। आतंकी संगठन तालिबान ने इसे 'बदले की शुरुआत' बताते हुए बुधवार को इस हमले की जिम्मेदारी ली। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीपीपी) के प्रवक्ता मोहम्मद खुरासनी ने मंगलवार रात हुए हमले के बाद अपने बयान में कहा कि प्रत्याशी हारून बिलौर को उनकी पार्टी की 'इस्लाम विरोधी नीतियों' के चलते निशाना बनाया गया। हारून 25 जुलाई को होने वाले आम चुनाव में एएनपी के प्रत्याशी थे। एएनपी एक धर्मनिरपेक्ष और वामपंथी पार्टी है। बिलौर के पिता व पूर्व प्रांतीय मंत्री बशीर अहमद भी 2012 में एक आतंकवादी संगठन द्वारा किए गए आत्मघाती हमले में मारे गए थे। खुरासनी ने कहा कि 'पेशावर में सफल हमला बदले की शुरुआत' है और वामपंथी एएनपी पार्टी तब तक निशाने पर रहेगी, जब तक कि वे तौबा नहीं कर लेते और इस्लाम की शरण में लौट नहीं आते।
डॉन ऑनलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, बिलौर पेशावर के पीके-78 निर्वाचन क्षेत्र से प्रत्याशी थे। इस दुखद घटना के बाद चुनाव आयोग ने चुनाव टाल दिया है। खुरासनी ने कहा, "जब यह धर्मनिरपेक्ष पार्टी सत्ता में थी, तो इसने कई मुस्लिमों को शहीद किया और कई अन्य को कैद किया था। हमने इनके खिलाफ युद्ध का ऐलान किया है।" तालिबान के प्रवक्ता ने लोगों से एएनपी के नेताओं, दफ्तरों और सभाओं से दूर रहने का आग्रह किया है और कहा है कि जो उसके संदेश को नजरअंदाज करेगा, वह जिंदगी गंवाने के लिए खुद जिम्मेदार होगा। पेशावर के लेडी रीडिंग अस्पताल के प्रवक्ता जुल्फिकार अली ने हमले में 63 लोगों के घायल होने की बात कही।विस्फोट उस समय हुआ, जब बिलौर एक रैली के दौरान समर्थकों को संबोधित करने के लिए मंच के पास पहुंचे। उस समय पार्टी के सदस्य और समर्थक पटाखे छुड़ाने में व्यस्त थे। हमलावर ने इसी का फायदा उठाकर आत्मघाती विस्फोट की घटना को अंजाम दे डाला। एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि विस्फोट में करीब आठ किलो विस्फोटक का इस्तेमाल हुआ है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) जस्टिस (सेवानिवृत्त) सरदार मोहम्मद रजा खान ने इस आतंकवादी हमले की निंदा की और इसे 'सुरक्षा व्यवस्था की कमजोरी' बताया। सीईसी ने कहा कि यह हमला चुनावों में पारदर्शिता के खिलाफ साजिश है और कहा कि प्रांतीय सरकारों को सभी उम्मीदवारों को पूरी सुरक्षा मुहैया कराने के आदेश दिए गए थे। एएनपी के नेता मियां इफ्तिखार हुसैन ने कहा कि सरकार पार्टी को सुरक्षा मुहैया कराने में नाकाम रही है। उन्होंने कहा कि शायद 'कोई एएनपी को चुनावी दौड़ से बाहर कर चुनावों को प्रभावित करना चाहता है।'

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