नयी दिल्ली , 11 जुलाई, उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय राजधानी में भूजल में कमी की गंभीर समस्या से निपटने के लिए कोई भी कदम नहीं उठाने के लिए केन्द्र , दिल्ली सरकार और उनके नगर निकायों को आज कड़ी फटकार लगाई। शीर्ष अदालत ने नीति आयोग की उस रिपोर्ट का संदर्भ लिया जिसमें कहा गया था कि विभिन्न अधिकारी एक दूसरे पर जिम्मेदारी ड़ाल कर अपनी जिम्मेदारियों से बच रहे हैं। न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा , ‘‘ आप पानी की खपत कम करने के लिए कोई कदम नहीं उठा रहे हैं , भूजल के संरक्षण तथा इसके स्तर को बढ़ाने की कोई योजना नहीं है। ’’ पीठ ने केन्द्र से दिल्ली में भूजल में कमी रोकने के लिए त्वरित , मध्यवर्ती तथा दीर्घाकालीन कदम उठाने के निर्देश दिये। इससे पहले न्यायालय ने आठ मई को दिल्ली के अधिकतर क्षेत्रों में भूजल की अत्याधिक दोहन पर गंभीर चिंता व्यक्त की थी। न्यायालय ने केन्द्रीय भूजल बोर्ड की दिल्ली में मई, 2000 से मई, 2017 की अवधि के भूजल स्तर के बारे में पेश रिपोर्ट के अवलोकन के बाद कहा था कि इससे पता चलता है कि स्थिति गंभीर है। न्यायालय अनधिकृत निर्माणों को सील होने से बचाने के लिये दिल्ली कानून (विशेष प्रावधान) अधिनियम 2006 और इसके बाद बने कानूनों की वैधता से संबंधित मुद्दे पर विचार कर रहा है।
गुरुवार, 12 जुलाई 2018
दिल्ली में भूजल में कमी गंभीर समस्या : उच्चतम न्यायालय
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