दुमका (अमरेन्द्र सुमन) राजकीय श्रावणी मेला बासुकिनाथ धाम में हाजिरी लगाने लाखों श्रद्धालु सावन के महीने में आते हैं। बाबा की महिमा ऐसी कि देश के कोने-कोने से श्रद्दालु बाबाधाम होते हुए बाबा फौजदारी नाथ महादेव पर जलार्पण करने पहुंचते हैं। बाबा बासुकिनाथ की महिमा किसी को अगाध भक्तिमय माहौल में लीन होने के लिए बुलाती है तो किसी परदेसी को बाबा की महिमा रोजगार दिलाती है। मध्यप्रदेश-महाराष्ट्र की सीमा से सटा मध्यप्रदेश का एक जिला है खंडवा, इस जिले के कई प्रवासी बासुकिनाथ धाम में एक महीना के लिए शरण लेने आते हैं। ये वो शरणार्थी हैं जो एक महीने तक मेला क्षेत्र में घूम-घूमकर रूद्राक्ष, मोती, मूंगा माला व कई दूसरे ज्योतिषिय काम के सामान बेचते हैं। इनका अस्थाई ठिकाना मेला परिसर में ही किसी खाली जमीन पर बना होता है जहां पूरे परिवार सहित एक महीना बिताने के बाद ये परदेसी फिर से किसी दूसरे पड़ाव की तरफ कूच कर जाते हैं। टेन्ट में रह रहे शर्णार्थी विजय ठाकुर, सर्वेश सिसोदिया, रिंकु चैहान ने बताया पिछले 20 साल से वे लोग एक महीना के लिए मेला क्षेत्र में घूमंतू दुकान चलाने के लिए आते रहे हैं। शरणार्थी सोनू सिसोदिया ने बताया कि उनके माता पिता बताते हैं कि सुरक्षा चुनौतियों को देखते हुए पहले उन्हे टेन्ट लगाने से रोका जाता था। लेकिन बाद के वर्षों में धीरे धीरे उन्हें यहां के समाज और व्यवसायी वर्ग के सहयोग से एक महीने के रोजगार के लिए आश्रय मिलता आ रहा है। एक महीने का समय बासुकिनाथ धाम मेला क्षेत्र में बिताने के बाद फिर ये परदेसी अपने प्रदेश को लौट जाते हैं। इस उम्मीद के साथ कि अगले बरस फिर बाबा फौजदारी के दरबार में आकर घूमंतू दुकान लगाएंगे, उन्हें ये रोजगार मिलता रहेगा और इस विश्वास के साथ वापस जाते हैं कि बाबा फौजदारी नाथ अपनी दया दृष्टि उनपर बनाये रखेंगे जिससे वो अपने जीवन में तरक्की करते जाएं।
बुधवार, 15 अगस्त 2018
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दुमका : परदेसियों का ठिकाना बना बासुकिनाथ धाम
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